दुमका (शहर परिक्रमा)

दुमका: तसर उत्पादकों का प्रमंडल स्तरीय कार्यशाला संपन्न

दुमका के इंडोर स्टेडियम दुमका में गुरुवार को तसर उत्पादकों का प्रमण्डल स्तरिय कार्यशाला का आयोजन किया गया। संयुक्त रूप से कार्यशाला का उ‌द्घाटन उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे, जिला परिषद् अध्यक्ष जोयेस बेसरा, वन प्रमण्डल पदाधिकारी सात्विक व्यास द्वारा विधीवत रूप से दीप प्रज्वलीत कर किया गया।

उपायुक्त ने संथाल परगना प्रमण्डल से आये हुए तसर उत्पादकों से कहा कि आप बहुत अच्छा उत्पादन तसर कोकून का कर रहे हैं, लेकिन हमलोग कोकून से तसर धागा एवं बस्त्र बनाने में अभी काफी पीछे हैं, जो आय बढ़ाने का सबसे सुदद्ध माध्यम है, इसी उ‌द्देश्य से विगत 4-5 वर्षों से जिला प्रशासन के सौजन्य से पुराना विकास भवन में मयूराक्षी सिल्क बैण्ड के नाम से रेशम धागा एवं वस्त्र का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें दुमका जिला की महिलाएँ जुड़ी हुई है। जानकारी हो कि मयूराक्षी सिल्क की मांग अपने प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों से भी बढ़ा है. इस कड़ी में भी मयूराक्षी सिल्क स्वावलंबी सहकारी प्राईवेट लिमिटेड के नाम से सहकारिता विभाग द्वारा पंजीकृत कराया गया है। आप सभी भी जुड़कर इस कार्य को करके अपनी आमदनी का वृद्धि करें। जिला प्रशासन और सरकार आपके साथ है।

जिला परिषद् अध्यक्ष जॉयस बेसरा ने संबोधित करते हुए कही कि दुमका जिला एवं संथाल परगना प्रमंडल तसर कोकून उत्पादन में अग्रणी है। यही के तसर से भगलपुर सिल्क सिटी बना हुआ है, क्यों न हम अपने जिला दुमका को सिल्क सिटी बना सकते है। इसके लिए हम सभी को मिलकर आगे आना होगा, मेहनत करेंगे तो आमदनी भी बढ़ेगा। कोकून के साथ-साथ तसर का धागा एवं वस्त्र बनाना आवश्यक है। उन्होने कहा कि में भी कुछ महिलाओं को प्रशिक्षित करा कर तसर धागा एवं वस्त्र निर्माण करवाती हूँ जिससे उनका घर परिवार अच्छे से चल रहा है। हमारे पास पर्याप्त मात्रा में तसर खाद्य पौधा है, परंतु तसर अत्पादन के बाद हमलोग तसर खाद्य पौधे का देख रेख बहुत कम करते है, इसलिए अचश उत्पादन करने के लिए तसर पीचे का देख-रेख भी आवश्यक है। सरकार, जिला प्रशासन एवं जिला परिषद् हर कदम पर आपके साथ है।

वन प्रमंडल पदाधिकारी सात्विक ने संबोधित करते हुए तसर कीटपालकों का होसला अफजायी किए और बोले की आप लोगों ने तसर उत्पादन के क्षेत्र में अपना परचम रहराया है। आप इसे बरकरार रखने के लिए आपको और अधिक मेहतन करने की आवश्यकता है । वन विभाग के द्वारा भी बहुत सारे क्षेत्रों में जरूर खाद्य पौधों का वृक्षारोपण किया गया है.
पूर्व सहायक उद्योग निदेशक (रेशम) सुधीर कुमार सिंह ने कहा की सरकार आपकी सारी सुविधाएँ उपलब्ध कराती है. तो आप भी सरकार के साथ सहयोग करेंगे, तो आपकी आमदानी भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा की सरकार द्वारा अग्र परियोजना केन्द्र के माध्यम से चूना-ब्लीचिंग, डिटॉल, साबून के अलावा कुदाल, गैसा, छाता, टॉर्च, मग, बास्केट, स्प्रे भशीन त्रिपाल मन्छरदानी आदि सारा उपलब्ध कराया जाता है, परंतु तसर कोकून का उत्पादन होते ही आप व्यापारी के चंगुल में चले जाते हैं, जबकि अग्र परियोजना केन्द्र द्वारा आपको आगाह किया जाता है। परन्तु नगद राशि प्राषा करने की चक्कर में बीज कोकून को भी आप व्यापारी को बेच लेते है, जिससे उत्तर बीज उत्पादन में कमी आती है और इससे आपकी आय में भी कमी आती है। उन्होंने तसर कृषकों से आहवाहन किया कि आप‌के द्वारा उत्पादित तसर कोकून सरकार द्वारा निर्धारित रागर्थत मूल्य पर अप परियोजना केन्द्र को उपलब्ध करायेंगे तो कभी भी तरुर बीज का कभी नहीं होगा और आप उगी का शिकार होने से बचेंगे।

स्वागत संबोधन में शंभू नाथ झा ने कार्यशाला के उ‌द्देश्य पर भी प्रकाश डाला। इस कार्यशाला में उत्कृष्ट (तसर कोकून उत्पादन करने वाले कीटमालकों को पुरस्कृत किया गया (संलग्न) साथ ही अग्र परियोजना पदाधिकारी रवि शंकर शर्मा एवं बपण कुमार को भी उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया।

रिपोर्ट: आलोक रंजन