देवघर: राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत् प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
आज दिनांक 08/07/2024 को आईएमए हॉल में डॉ. मनोज कुमार गुप्ता, जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी, देवघर की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत् एएनएम के एक दिवसीय कुष्ठ रोग प्रशिक्षण के तृतीय बैच के प्रशिक्षण का आयोजन किया गया । उक्त प्रशिक्षण जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी, देवघर डॉ. मनोज कुमार गुप्ता एवं चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विकाश कुमार के द्वारा दिया गया। प्रशिक्षण में देवघर जिला के विभिन्न प्रखंडों में संचालित आयुष्मान आरोग्य मन्दिर एव स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर कार्यरत एएनएम को कुष्ठ रोग के पहचान एवं उपचार के साथ डीपीएमआर, विकलांगता के रोकथाम, रिएक्शन मैनेजमेंट, एमडीटी, आरसीएस एवं अन्य की जानकारी प्रशिक्षक के द्वारा दी गयी।
प्रशिक्षण में डॉ मनोज गुप्ता ने बताया कि देवघर जिले को वर्ष 2027 तक कुष्ठ मुक्त करना हमारी पहली प्राथमिकता है। कुष्ठ मुक्त करने के लिए सभी चिकित्सा पदाधिकारियों, सामूदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों, नर्सिंग स्टाफ एव अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके लिए पूरा जिला एव प्रखंड स्वास्थ्य समिति पूरी तत्परता से कम कर रही है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके लिए कुष्ठ रोगी खोज अभियान भी चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य कर्मी प्रत्येक गांव एव मोहल्ले व अन्य जगहों पर जाकर कुष्ठ रोगियों की पहचान करने मे लगे हुए हैं। उनके द्वारा यह भी बताया गया की कुष्ठ रोग एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है जो एक प्रकार के बैक्टीरिया, माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होता है। यह रोग मुख्य रूप से त्वचा और परिधीय तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। उपचार न किए जाने पर यह रोग प्रगतिशील और स्थायी विकलांगता का कारण बन सकता है और यदि किसी व्यक्ति के शरीर का कोई हिस्सा तांबे के रंग जैसा हो गया है और इसमें सूनापन हो तो यह कुष्ठ रोग हो सकता है। हाथ व पैर के नस का मोटा होना, दर्द के साथ झुनझूनी होना भी इसके प्रारंभिक लक्षण होते हैं. यदि व्यक्ति के शरीर पर छह या कम दाग हो तो उसे पॉसीबैसिलारी (पीबी) के तहत छह महीने के इलाज से ठीक किया जाता हैं. यदि छह से अधिक दाग हो तो उसे मल्टीबैसिलारी (एमबी) के तहत 12 महीने के इलाज से भला चंगा किया जा सकता है. रोग से पीड़ित व्यक्ति को मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) की दवाएं मुफ्त में दी जाती हैं. इस बीमारी का इलाज पूरी तरह संभव हैं. इसलिए प्रारंभिक अवस्था में ही लोगों को इसका इलाज कराना चाहिए। पीबी व एमबी के आधार पर रोगियों को मुफ्त में एमडीटी की दवा मुहैया करा इलाज किया जाता है। जिले के सभी सामूदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इसके मुक्त इलाज की व्यवस्था की गई है। इलाज में कोई भी खर्चा नहीं लगता है. अगर किसी भी व्यक्ति को इन लक्षणों से जुड़े संदेह हो तो वे सामूदायिक स्वास्थ्य केंद्र या सदर अस्पताल मे संपर्क कर सकते हैं।
इस प्रशिक्षण में विश्वेश्वर राम, अचिकित्सा सहायक, कुमार अभिषेक, लिपिक, संजय कुमार, पीएमडब्ल्यू, भागीरथ प्रमाणिक, पीएमडब्लयू, सविता मुर्मू , कंचन कुमारी, ममता कुमारी, बिंदु कुमारी एव अन्य उपस्थित थे।