राष्ट्रीय

01 अगस्त: कमला नेहरू व मीना कुमारी की जयंती आज

आज सौम्यता और विनम्रता की प्रतिमूर्ति कमला नेहरू एवं जाने माने अभिनेत्री एवं शायर मीना कुमारी की जयंती है। आज ही के दिन 1 अगस्त, 1899 को कमला नेहरू का एवं 1 अगस्त, 1932 को मीना कुमारी का जन्म हुआ था।

कमला कौल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में से एक और देश के प्रथम प्रधानमंत्री रहे पण्डित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी थीं। कमला नेहरू को आज भी सौम्यता और विनम्रता की प्रतिमूर्ति के रूप में याद किया जाता है, किंतु देश के एक समृद्ध और सम्मानित परिवार की बहू होने पर भी कमला नेहरू परिवार में स्वयं को अजनबी महसूस करती रहीं। ब्रिटिश प्रशासन ने उन्हें दो बार गिरफ़्तार भी किया। उन्होंने महात्मा गांधी की ऐतिहासिक दांडी यात्रा में भी भाग लिया था। 1921 के असहयोग आंदोलन में उन्होंने इलाहाबाद में महिलाओं का एक समूह गठित किया और विदेशी वस्त्र तथा शराब की बिक्री करने वाली दुकानों का घेराव किया। इतिहासकारों का कहना है कि कमला नेहरू में गज़ब का आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता थी। जब उनके पति को एक बार राष्ट्रद्रोही भाषण देने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया तो वह उनकी जगह गयीं और कमला जी ने नेहरू जी का भाषण पढ़ा। 28 फरवरी, 1936 को स्विटज़रलैंड में उनकी बेहद कम उम्र में टीबी से मृत्यु हो गयी। डॉ. देव ने आगे मीना कुमारी के संदर्भ में कहा- मीना कुमारी फ़िल्म जगत् की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं। इनका पूरा नाम ‘महजबीं बानो’ था। मीना कुमारी अपनी दर्द भरी आवाज़ और भावनात्मक अभिनय के लिए दर्शकों के बीच बहुत प्रसिद्ध रही हैं। उनकी ‘साहिब बीबी और ग़ुलाम’, ‘पाकीज़ा’, ‘परिणीता’, ‘बहू बेगम’ और ‘मेरे अपने’ दिल को छू लेने वाली कलात्मक फ़िल्में हैं। अपनी पहचान को तलाशती मीना कुमारी को लगभग दस वर्षों तक फ़िल्म जगत् में संघर्ष करना पड़ा। इस बीच उनकी वीर घटोत्कच और श्री गणेश महिमा जैसी फ़िल्में प्रदर्शित तो हुई, पर उन्हें इनसे कुछ ख़ास पहचान नहीं मिली। वर्ष 1952 में मीना कुमारी को विजय भट्ट के निर्देशन में बैजू बावरा में काम करने का मौक़ा मिला। इस फ़िल्म की सफलता के बाद मीना कुमारी बतौर अभिनेत्री फ़िल्म जगत् में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गईं। अपने आख़िरी दिनों में मीना कुमारी को ‘सेंट एलिज़ाबेथ नर्सिंग होम’ में भर्ती कराया गया था। नर्सिंग होम के कमरा नंबर 26 में उनके आख़िरी शब्द थे- “आपा, आपा, मैं मरना नहीं चाहती।” जैसे ही उनकी बड़ी बहन ख़ुर्शीद ने उन्हें सहारा दिया, वह कोमा में चली गईं और फिर उससे कभी नहीं उबरीं। लगभग तीन दशक तक अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली इस महान् अभिनेत्री मीना कुमारी का निधन 31 मार्च, 1972 को हुआ।

लेखक डॉ प्रदीप कुमार सिंह देव विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान के केंद्रीय अध्यक्ष हैं