देवघर (शहर परिक्रमा)

देवघर: AIIMS में विश्व स्तनपान सप्ताह का हुआ आयोजन

देवघर, 7 अगस्त: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) देवघर ने गर्व के साथ विश्व स्तनपान सप्ताह 2024 का आयोजन किया, जो स्तनपान के महत्व को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक सप्ताह लंबा कार्यक्रम है। इसका आयोजन बाल रोग विभाग (pediatrics), सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग (CFM) और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग (Obs and Gynae) ने किया। 1 अगस्त को आयोजित उद्घाटन समारोह में AIIMS देवघर के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. सौरभ वार्ष्णेय ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और अपने संबोधन में स्तनपान के महत्व पर जोर दिया।

प्रख्यात विशेषज्ञों, जिनमें डीन अकादमिक प्रोफेसर डॉ. हरमिंदर सिंह, चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉ. सत्यरंजन पात्रा, बाल रोग विभाग के प्रमुख डॉ. सार्थक दास, सीएफएम के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. जी जाह्नवी और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. प्रियंका राय ने स्तनपान के लाभों पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की।

इस समारोह में कई गतिविधियां शामिल थीं, जिसमें आरएचटीसी, देवीपुर (RHTC) और यूएचटीसी कल्याणपुर(UHTC) में आउटरीच जागरूकता किए गए थे, जिसमें लगभग 65 आशा, एएनएम, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली धात्री माताओं को संबोधित किया गया। इन सत्रों में स्तनपान के लाभ, शुरुआत जैसे आवश्यक विषयों को शामिल किया गया, इसके बाद प्रश्नोत्तर और इंटरैक्टिव सेशन आयोजित किए गए।

पूरे सप्ताह के दौरान, विभाग के विशेषज्ञों द्वारा एम्स ओपीडी, आईपीडी, एनआईसीयू और रोगी प्रतीक्षा क्षेत्रों में कई सत्र आयोजित किए गए। 2022 बैच के एमबीबीएस छात्रों ने एक रचनात्मक तरीके से फ्लैश मॉब और नाटक द्वारा जागरूकता फैलाना का प्रयास किया।

माताओं के लिए एक आरामदायक और निजी स्थान सुनिश्चित करने के लिए, एम्स ओपीडी में स्तनपान पॉड उपलब्ध किए गए है।

इस एक सप्ताह लंबी कार्यक्रम में बाल रोग विभाग से डॉ सरोज कुमार त्रिपाठी,डॉ सोमी कुंडू, डॉ राजन कुमार, डॉ ई .अंसारी और सीएफएम विभाग के डॉ बिजित का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस अभियान की सफलता संपूर्ण एम्स देवघर टीम के सामूहिक प्रयासों से संभव हुई, जिसमें डॉक्टर्स, सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट, इंटर्न, एमबीबीएस छात्र, नर्सिंग स्टाफ और स्टूडेंट्स एवं प्रबंधन शामिल हैं।

इस पहल का उद्देश्य देवघर में स्तनपान के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसे अपनाने को बढ़ावा देना है, जिससे माताओं और शिशुओं के लिए एक स्वस्थ भविष्य को बढ़ावा मिल सकता है।