डीएवी कोडरमा के बच्चों ने दिया संदेश: ‘वृद्धों का आश्रय घर-परिवार है न कि वृद्धाश्रम’
डीएवी पब्लिक स्कूल झूमरी तिलैया,कोडरमा में नर्सरी से दूसरी कक्षा के बच्चों ने दादा- दादी सम्मान समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर उन्हें सम्मान दिया। उन्होंने कार्यक्रम के द्वारा लोगों को यह संदेश दिया कि हमें अपने बड़े बुजुर्गों को घर में रखकर उन्हें भरपूर सम्मान देना चाहिए न कि उन्हें वृद्धाश्रम में रखकर उनसे दूर रहना चाहिए। उन्हें जरूरत की हर चीजों को समय पर देना चाहिए। वे हमारे लिए आदरणीय एवं पूजनीय हैं। इस अवसर पर दूसरी कक्षा की रशिका,अथर्व, दर्शित तिवारी, अराधक, सिमरन ,सौम्या ने नाटक द्वारा दर्शाया की माता-पिता बच्चों के लिए अनमोल धन होते हैं उनका जितना भी आशीर्वाद मिले कम ही है l
हर्षित, अनीक देव ने भी लघु नाटिका द्वारा प्रदर्शित किया की वृद्ध माता-पिता का स्थान उनका अपना घर अपने परिवार के बीच है ना कि वृद्धआश्रम । हमें हर समय उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। यूकेजी के दिव्यांश, प्रीत राज,दक्ष चौधरी ने दादा-दादी के प्रति प्रेम प्रदर्शित करते हुए एक सुंदर कविता प्रस्तुत की। अमृता मंडल ने दादी बनकर रामायण की कहानी सुनाई, जिसमें बताया कि बड़े बुजुर्गों का सम्मान एवं प्रणाम करने से हमें आयु, विद्या, यश और बल इन चार अनमोल चीजों की प्राप्त होती है। नर्सरी से दूसरी कक्षा के बच्चों ने सुंदर कार्ड ,फूल एवं आकर्षित क्राफ्ट बनाकर दादा-दादी के प्रति प्रेम प्रदर्शित किया। बच्चों की सहभागिता एवं दादा – दादी के प्रति आदर -सम्मान एवं प्यार को देखकर विद्यालय के प्राचार्य श्री कृष्ण कुमार सिंह अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए दादा-दादी एक आदर्श होते हैं। वे अपने पोते- पोतियों को भरपूर स्नेह एवं प्यार देते हैं।बच्चों का लगाव ज्यादातर दादा- दादी के साथ होता है। जिनके दादा- दादी परिवार में बच्चों के साथ नहीं होते हैं , बच्चों को उनकी कमी अवश्य परिलक्षित होती है। दादा दादी अपने पोते -पोतियों को विना शर्त प्यार, सकारात्मक प्रभाव और भावनात्मक समर्थन के स्रोत के रूप में काम करते हैं। वे उनके चारित्रिक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। बच्चों को रामायण ,महाभारत, गीता की रोचक एवं प्रेरणादायक कहानियों को सुना कर मानवता का पाठ पढ़ाते हैं तथा जीवन में अच्छा इंसान बनने की सीख देते हैं। वे पारिवारिक परंपराओं , संस्कृति एवं सभ्यता के लिए एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। दादा -दादी परिवार की एक मजबूत नींव के समान है जिस पर विशाल परिवार रुपी भवन खड़ा होता है। दादा- दादी सम्मान समारोह में बच्चों का मार्गदर्शन एवं दिशा-निर्देश विद्यालय की शिक्षिका श्वेता सिंह , संध्या कुमारी शिल्पी गुप्ता ,लक्की पाठक एवं निधि कुमारी ने किया।