दीपावली 2024: ये है मुहूर्त, ऐसे करें पूजा

हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्रभु श्रीराम ने 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या नगरी में वापस लौटे थे। इस खुशियों में भगवान राम के स्वागत के लिए समस्त अयोध्यावासियों ने दीप जलाए थे। हर साल बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ दिवाली मनाई जाती है। इस साल 31 अक्टूबर को दिवाली मनाया जा रहा है।

दिवाली के शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की पूजा बेहद शुभ फलदायी माना जाती है। धनतेरस से पांच दिवसीय पर्व दिपोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। दिवाली के दिन घर की साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है। साथ ही मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर को रंगोली, दिये और फूलों से सजाया जाता है। इस वर्ष l 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर अमावस्या तिथि शुरू हो रही है और 01 नवंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो रही है। 31 अक्टूबर को दिवाली है। इस दिन लक्ष्मीपूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 36 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 16 मिनट तक है। इसके अलावा शाम 06 बजकर 27 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 32 मिनट तक दिवाली पूजा का शुभ मुहूरत है। दिवाली के दिन निशिता काल में भी पूजा की जाती है। इस दिन रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 12 बजकर 31 मिनट तक निशिता काल पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। दिवाली के दिन शाम को शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करने के पूर्व मंदिर की साफ-सफाई कर लें। ईशान कोण देवी-देवताओं का स्थान माना जाता है। इसलिए इस दिशा में सफाई का खास ध्यान रखें। लकड़ी की एक छोटी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। इस लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें। एक तस्वीर लक्ष्मी-गणेश और कुबेर देवता के साथ भी लगाएं। पूजान के समय पंचदेव सूर्यदेव, विष्णुजी, शिव-गौरी और श्रीगणेश को स्थापित करें। इसके बाद सभी देवी-देवताओं के समक्ष धूप-दीप जलाएं। मूर्ति और तस्वीरों पर गंगाजल छिड़कें। इसके बाद आसन पर बैठकर महालक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें। पूजा चौकी पर गणेशजी के सामने दाहिनी ओर नवग्रह स्थापित करें और पास में जल से भरा कलश रख दें। कलश में कौड़ियां, सिक्के, सुपारी और गंगाजल डालें। कलश पर रोली से स्वास्तिक का निशान बांधे और मोली लपेट दें। फिर आम के पत्ते लगाकर मिट्टी के बड़े दिये से कलश ढककर रख दें। दिया में चावल हो और उसपर लाल कपड़े में जटा नारियल लपेटकर दिये पर रख दें। अब मां लक्ष्मी के समक्ष लाल कपड़े की थैली में 5 कौड़ी, 5 गोमती चक्र,हल्दी की गांठ और बाद रखें। दिवाली पूजन के बाद इसे तिजोरी या लॉकर में रख लें। मां लक्ष्मी और गणेशजी को फल,फूल,घी,कमल का फूल, खील-बताशे, पंचमेवा अर्पित करें। धनतेरस में लाए गए सामान की भी पूजा करें। इसके बाद गणेशजी,मां लक्ष्मी और कुबेर देवता के सामने घी का 5 या 11 दीपक प्रज्ज्वलित करें। इसके बाद घर को सजाने के लिए जरुरत के अनुसार सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इन दियों को घर के सभी कोनों में रख दें। इसके विधिवत लक्ष्मी-गणेश पूजन करें। मंत्रों का जाप करें। गणेश अथर्वशीर्ष और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्तम का पाठ करें। कुबेर जी की पूजा करें। पूजा के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमाप्रार्थना मांगे और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा समाप्त करें।

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लेखक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव