युवा कवि को मिला विद्यावाचस्पति सारस्वत सम्मान
देवघर के बलसरा गाँव निवासी युवा कवि रवि शंकर साह, जो कि अपने गाँव में सर्वोदय विद्यालय का संचालन कर शिक्षा का अलख जगाने के साथ – साथ साहित्य के क्षेत्र में काफी सक्रिय रूप से कार्य कर रहें हैं। इनके द्वारा किए जा रहे सुदीर्घ हिन्दी सेवा, सारस्वत साधना, कला के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाॅं, शैक्षिक प्रदेयों, महनीय शोधकार्य तथा अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के आधार पर आज ईशीपुर, भागलपुर में विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ द्वारा आयोजित समारोह में रवि शंकर साह को ‘विद्यावाचस्पति’ सारस्वत सम्मान प्रदान किया गया ।
यह एक मानद उपाधि है। जो कि डॉक्टरेट के तुल्य हैं।
ज्ञात हो कि श्री रवि शंकर साह जी पेशे से शिक्षक है। कई वर्षों तक विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में बतौर पत्रकार कार्य चुके हैं। कोरोना काल के बाद से साहित्य जगत में सक्रिय है। साहित्य समागम भारत संस्था के संस्थापक हैं । इनकी एक काव्य संग्रह धूल भरी चांदनी व पाँच – पाँच साझा काव्य संकलन का सम्पादन कर चूके हैं। इनके साहित्य के प्रति समर्पण को देखते हुए पूर्व में ही महाकवि नीरज सम्मान वर्ष 2020 ( विश्व हिन्दी रचनाकार मंच), रविन्द्र चन्द्र भौमिक स्मृति साहित्य भूषण प्रदान –
आर सी भौमिक मेमोरियल ट्रस्ट (पश्चिम बंगाल)
गुरु बृहस्पति सम्मान – साहित्य संगम संस्थान, नई दिल्ली
भगवती देवी स्मृति प्रदान – खोरठा भाषा साहित्य सृजन मंच ,देवघर
सविता देवी स्मृति सम्मान – बांका अंगिका महोत्सव से सम्मानित हैं।
श्री साह को विद्यावाचस्पति सम्मान मिलने पर देवघर सहित संपूर्ण भारत से बधाईयां मिल रही हैं।