देवघर (शहर परिक्रमा)

झारखंड सरकार के 4 साल पर भाजपा ने की प्रेस वार्ता, गिनाई सरकार की नाकामियाँ

आज भारतीय जनता पार्टी देवघर जिला की ओर से जिला अध्यक्ष विधायक नारायण दास ने एक होटल में प्रेस वार्ता का आयोजन कर झारखंड सरकार की नाकामिया को बताया। वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सत्ता में आने से पहले कुछ वादा किया था जिसे मैं आप लोग को बता रहा हूं:-

हकीकत
हेमंत सरकार की योजनाओं में चूल्हा खर्च का आता पता नहीं।
राज्य में कहीं भी महिला बैंक की स्थापना नहीं हुई। महिला थाना में संसाधनों की स्थिति दयनीय है। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार की संवेदनशीलता इस बात से समझी जा सकती है कि 4 साल में झारखंड में दुष्कर्म के 14 162 मामले दर्ज हुए इनमें से 8000 केस का अनु साधन तक निर्धारित समय पर पूरा नहीं हो सका।
एक तो महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने में सरकार और पुलिस पूरी तरह नाकाम साबित हुई है दूसरी ओर पीड़ित महिलाओं यूतियों को न्याय दिलाने में भी पुलिस फेल रही है। बलात्कार और पोक्सो एक्ट के आरोपी बड़ी संख्या में साक्ष्य के अभाव में बड़ी होते जा रहे हैं। 2022 में चार्ज शीट दायर नहीं होने के कारण 2366 मुकदमों में 3662 आरोपी रिहा हुए। मात्र 529 केस में ही सरकार सजा दिला सकी। यह सरकार की महिलाओं के प्रति गंभीर असंवेदनशीलता को दर्शाता के साए में न्याय का इंतजार कर रही है। दुष्कर्म की नाबालिक पीड़िताएं3-3 साल से मामले लंबित अभियुक्त बेल पर खुले आम घूम रहे हैं।

हकीकत

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जब सारे हथकंडे फेल हो जाते हैं तो वह आदिवासी होने का सिस्टम कार्ड खेलते हैं। कहते हैं कि वह देश के एक लोटे आदिवासी मुख्यमंत्री है इसीलिए परेशान किया जा रहे हैं। वह अपनी लूट कथा के बारे में कभी कुछ नहीं बोलते। अबुवा सरकार में जितना शोषण आदिवासी समाज का हुआ उतना कभी नहीं हुआ। हेमंत परिवार ने दशकों तक आदिवासियों का शोषण किया सीएनटी एसपीटी एक्ट की सुरक्षा की बात करने वाले सीएम ने इस कानून की धज्जियां उड़ा दी। सोरेन परिवार के नाम बदल बदल कर रांची से लेकर दुमका तक पूरे झारखंड में आदिवासी की जमीन लूटी है। आदिवासी जमीन की खरीद बिक्री नहीं होती तो फिर सोरेन परिवार के नाम से जमीन के 108 डिड कहां से आए। महाजनी प्रथा से लड़ते-लड़ते सोरेन परिवार आज राज्य का सबसे बड़ा महाजन बन गया देश के इतिहास में पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपने नाम पर अपनी कलम से खनन पट्टा आवंटित किया।

हकीकत
हेमंत सरकार दलित आरक्षण पर गंभीर नहीं है दलितों को आरक्षण के नाम पर केवल धोखा मिला है
वर्षों के अनुसूचित जाति आयोग अध्यक्ष के आरोप में आक्रमण्य बना हुआ है
झारखंड में पिछले 4 वर्षों में दलितों पर अत्याचार बड़े हैं दलित परिवार की बहन बेटियों लगातार प्रताड़ना का शिकार हो रही है
मुख्यमंत्री के गृह जिले साहिबगंज के तलीभरी थाने में टी से देबू तुरी नमक दलित व्यक्ति की मौत
पलामू में दलित की 52 डेसिमल बंदोबस्त जमीन पर माइंस संचालक ने कर दिया खनन
जमशेदपुर के साक्षी थाने की पुलिस द्वारा कार्तिक मुखी नामक एक दलित युवक की इतनी पिटाई की गई कि उसका पेट का टाका तक खुल गया
भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज की न्यायिक जांच की मांग को लेकर कार्य स्थांगन प्रस्ताव लाने पर पार्टी के दलित विधायक अमर कुमार बाबरी को अपमानित किया गया था
दबंगों ने मदरसे की जमीन पर पलामू में 50 मा दलित परिवार का घर तोड़ा गया उन्हें गांव से जबरन निकाल दिया गया पलामू के मुरुमातु के महादायित्व की उनकी बस्ती में पलामू जिला प्रशासन बसा नहीं सका है

हकीकत
राज्य सरकार का पिछड़ा विरोधी चेहरा बेनकाब हो चुका है। कैबिनेट द्वारा ट्रिपल टेस्ट के लिए आयु गठन की मंजूरी के बाद भी अब तक पिछड़ा वर्ग आयोग नहीं बन पाया कैबिनेट की मंजूरी के बाद भी आज तक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त नहीं हो सका है। इससे निकाय चुनाव का टालना और केंद्रीय अनुदान की राशि से भी झारखंड का वंचित होना स्वाभाविक है। झारखंड सरकार सारी शक्तियों को अपने पास रखकर उनका दुरुपयोग करना चाहती है। बिना ओबीसी आरक्षण पंचायत चुनाव संपन्न कराया गया। विशेष सत्र बुलाकर ओबीसी को 27% आरक्षण का लॉलीपॉप थमाया गया। नगर निगम चुनाव में ओबीसी के लिए एक सीट भी आरक्षित नहीं।

हकीकत

किसानों को ₹200000 तक का कर्ज माफी की घोषणा टाय टाय फिश साबित हुई।

कृषि कार्य के लिए मुफ्त बिजली की घोषणा पूरी तरह सफल हुई। समर्थन मूल्य प्रधान खरीद में झारखंड सरकार हर बार फिसड्डी साबित हुई। धान क्रय केंद्र खोलने में लेट लतीफ के कारण बिचौलिया बाद है। किस मजबूरन उन्हें पुणे डैम में बिचौलियों को धान बेचने को मजबूर होते जा रहे हैं। वाजिब किसान तक सरकार की पहुंच ही नहीं है। 80 लाख क्विंटल से 36 पॉइंट 30 लाख क्विंटल का लक्ष्य घटाने के बाद भी किसानों से 50% तक विधान की खरीदारी नहीं हुई। कभी समय पर किसानों को भुगतान नहीं हुआ। लैंपस में बेचे गए अनाज का 28 करोड रुपैया अब भी हजारों किसानों का बकाया है। इस वर्ष भी धन कटकर कल्याण तक आ गए हैं लेकिन धान क्रय केंद्र नहीं खोले गए हैं।