दुमका: सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ का हुआ समापन
जामा प्रखंड अंतर्गत सिमरा पंचायत के कुंडाडीह गांव में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन शनिवार को कथा का श्रवण करने श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। कथा वाचक आचार्य राम विलास शास्त्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि भागवत कथा कल्पवृक्ष की तरह है,जिसके श्रवण मात्र से मानव जीवन में आने वाले हर दुःखों और क्लेश का निवारण हो जाता है। भगवान श्री कृष्ण अपने बृंदावन और ब्रज की गोपियों के समर्पण भाव को अंगीकार कर उन्हें हर मुसीबत से उबारने में तत्पर रहते थे। कालिया नाग को उसकी धृष्टता की सजा देत हैं, बकासुर से मानव की मुक्ति,कंश का उद्धार कर भगवान ने दुष्ट दलन की महिमा को अंगीकार किया और भक्त वत्सल की महिमा को प्रस्तुत किया है। भगवान ने गोपियों के संग रास रचाकर जगत में प्रेम का संदेश दिया है। आचार्य ने गोपियों संग रास लीला का वर्णन करते हुए गोपियों को प्रेम का प्रतीक और कृष्ण को सारे जगत का पति स्वरूप माना है। कहा कि पिंडली और शरीर का पति स्वरूप मानव जीवन में अलग और ईश्वरीय शक्ति अलग रूप धारण करती है। अलौकिक शक्ति स्वरूप जगत पति भगवान कृष्ण मानव जीवन का उद्धार करते हैं। कहा कि भगवान अभिमान को हरण करने वाले और प्रेम को वरण करने वाले होते हैं। जब इंद्र देवता को अहंकार हो जाता है और गोकुल वासी पर वर्षा की बौछार कर सताया गया तो कृष्ण ने गिरी राज गोवर्धन पर्वत से रक्षा कर इन्द्र का मान मर्दन किया।वहीं रुक्मिणी के प्रेम का वरण कर रूक्मिणी को अर्धांगिनी स्वीकार किया। आचार्य ने कथा प्रवचन करते हुए कृष्ण रूक्मिणी विवाह,कृष्ण सुदामा चरित का भाव पूर्ण वर्णन किया और ब्रज की होली का वर्णन करते हुए भक्तो के साथ पुष्प की होली खेली। इस अवसर पर कुंडाडीह आयोजन समिति के सदस्य एवं हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे।
रिपोर्ट- बीरबल कुमार दर्वे