देवघर: श्रीगोला साहिब के दर्शन को उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
जसीडीह स्थित प्रसिद्ध श्रीहंसदेवजी अवधूत ट्रस्ट एस्टेट कैलाश पहाड़ आश्रम (अमरपुर-खवासडीह) में श्री सत पंच परमेश्वर पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन भ्रमणशील (जमात) के श्रीमहंत मेहश्वर दास जी,मुखिया महंत दुर्गादास जी के मार्ग दर्शन मे श्री गोला साहिब का दर्शन पूजन कार्यक्रम में पूज्य संत एव श्रद्धालु भक्तगण मौजूद थे। इस दोरान विश्व कल्याण की कामना कर राष्ट्र की एकता और अखंडता कायम रखने का संकल्प लिया गया।श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत महेश्वर दास जी ,मुखिया महंत दुर्गादास जी एव महंत स्वामी निर्मल दास जी ने कहा कि श्रीगोला साहिब की प्रेरणा से पूरा देश मे सनातन धर्म की पताका लहरा रही है। वे समाज मे फैली कुरीतियो दूर कर सकारात्मक संदेश प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पवित्र श्रीगोला साहिब भगवान सभी संतो को राष्ट्र कल्याण के लिए प्रेरित करते है।उन्होने कहा कि भारतीय संस्कृति एव सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने मे महापुरूष ने हमेशा से अपनी भूमिका निभाई है।उन्होने श्रीगोला साहिब की महिमा के बारे मे बताया कि करीबन ढाई शताब्दी पूर्व भारत सै तपस्वी संत बाबा प्रीतम दास जी भ्रमण करते हुए पडोसी देश नेपाल के जंगलो मे पहुंचे थे,जहा उनकी भेट तपस्या मे लीन बाबा बनखंडी दास जी से हुई थी,बाबा प्रीतम दास जी ने राष्ट्र कल्याणार्थ आशीर्वाद मांगा था इस पर बाबा बनखंडी दास ने अपने धुने से उन्हे भस्मी गोला दी ओर उसमे अलौकिक उर्जा प्रवाहित करते हुए बोले इसे ले जाओ और इससे सभी का कल्याण करना तभी से उस भस्मी गोलक का नाम श्रीगोला साहिब रखा गया ओर उन्हे लेकर उदासीन संतो की जमात पूरे देश मे अनवरत भ्रमण कर रही है। उन्होने बताया कि जो भी श्रद्धालु श्रद्धा ओर भाव से इनका पूजन अरदास ओर दर्शन करता है उस मनवांछित फल प्राप्त होता हैं।
उन्होंने कहा कि श्री हंसदेव जी अवधुत सामने पहाड़ की टेकरी है तो देवगिरी पर्वत के नाम से यहां पर सब लोग पूजन करते हैं और वहां भी संत कभी निवास करते रहे थे। यह देवभूमि देवघर है। देव भूमि पर वे तपस्या में साधना में लीन रहे।उन्हें शिव का साक्षात्कार हुआ। उनके त्याग तपस्या से प्रभावित होकर उसे समय के यहां के जो राजा थे उन्होंने उनके चरणों में अपनी सेवा अर्पण की और जमीन महाराज जी के चरणों में उन्होंने सेवा में अर्पण किया। यहाँ उन्होंने आश्रम स्थापित किया। उन्होंने कहा कि महाराज जी अब हमारे बीच में भौतिक रूप में नहीं है। लेकिन वे हमेशा आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं। संत का आश्रम होता है वहां पर दो चीज होती है। जैसे आज माता सावित्री व्रत वृक्ष की पूजा हो रही है सब लोग बड़े तन मन धन योग से पूजन करते हैं तो मंदिर में जाओगे शिवजी की पूजा कर लोगे लोटा का जल चढ़ा दोगे अक्षत, चंदन, चढ़ा दंगे, बेल पत्र चढ़ाओगे। माता जी का वहां पर आपने दर्शन पूजन करके फिर अपने घर पर गए। माता-पिता देवता की पूजा की। आश्रम में दुगना फल प्राप्त होता है। गांव का देवियों का भी पूजन हुआ जो स्थापित देवी देवता है उसके साथ-साथ संत की भी सेवा आपको प्राप्त होती है। आपको आश्रम जहां संत हैं वहां ही आपको प्राप्त होता है। नहीं है तो वहां देवी देवताओं का पूजन का पुण्य लाभ प्राप्त होता है तो इस आश्रम पर संत की सेवा होती रहे आएगा या अतिथियों की सेवा होती रहे उसके लिए वह पुण्य आत्मा जो धनवान जो साधन सम्पन्न होते हैं उनका यह परम कर्तव्य होता है कि अपने जीवन में कुछ ऐसी कृति कर चलो कि आगे आने वाली पीढ़ी कम से कम याद रखे। काहे कि बड़ा अच्छा व्यक्ति था, भला आदमी था जिन्होंने तालाब बनाई, जिन्होंने धर्मशाला बनाया, जिन्होंने गौशाला बनाया। इस तरह के जो पुण्यार्थ काम है वह व्यक्ति को करना चाहिए। उसमें कुछ ना कुछ योगदान देना चाहिए । जब हम कहीं जाते हैं कहीं मिठाई चढ़ा देते हैं। कुछ ना कुछ आश्रम और मंदिर की सेवा होती रहे जहां साफ सफाई है वह सुंदर है स्वर्ग है। जब अतिथि की सेवा होती है तो उसके हृदय से जो आशीर्वाद प्राप्त होता है उस व्यक्ति की दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की होती है।उन्होने कहा महाराज जी यहां से त्याग तपस्या साक्षात्कार करके देश के कल्याण के निचले। देश मजबूत रहेगा तो हम मजबूत रहेंगे हमारा धर्म मजबूत रहेगा हम सुरक्षित रहेंगे। सभी संतो के बीच में प्रथम अग्रणी के रूप में माने जाते हैं ऐसे महाराज जी ने यह यहां पर तपस्या की और यहीं ब्रह्मलीन हुए वे भी विराजमान है यहां पर हम सबको आप सब लोगों को वह आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्री हंसदेव जी अवधुत की एक दिव्य समाधि बननी चाहिए। लोग इसके लिए ट्रस्ट को सहयोग दें। साथ ही इस परिसर को धार्मिक पर्यटन के अनुरूप विकसित किये जाने का आह्वान किया।
श्रीहंसदेवजी अवधूत ट्रस्ट एस्टेट कैलाश पहाड़ आश्रम के गवर्निग ट्रस्टी डा अतनू कुमार चक्रवर्ती ने कहा कि श्री चंद्र भगवान है सबके के बीच मौजूद है और उनका आशीर्वाद हम लोगों पर निरंतर बरसती रहती है। भगवान हर हमेशा हमारा आपके पास मौजूद है। जिनका कहना था कि हम सब धर्म के हमसे है हम लोग एक दूसरे को कहते हैं हम एक है वह चाहते हैं ऐसा नहीं है। सभी में उसे ब्रह्म का अंश है और इस ब्रह्म के अंश होने के चलते हम सब समान है और माया आवरण कारण के लोगों को ऐसा नजर आता है कि हम सब अलग-अलग है अलग-अलग जाति धर्म अलग-अलग जीवन में बसे हुए लेकिन सभी परमात्मा परम ब्रह्म के अंश है।
इसके पूर्व श्रद्धालुओ एवं पूज्य संत ने श्रीगोला साहिब का दर्शन पूजन अर्चना की। भक्तो ने गोला साहिब का अरदास ओर दर्शन करके समाज ओर परिवार के खुशहाली का आशीर्वाद मांगा ।श्री गोला साहिब की जय,उदासीनाचार्य श्रीचन्द्र भगवान के जयकारे से गुंजायमान हो उठा वातावरण। वहीं इस अनुष्ठान में अजगैवीनाथ के मोकामी महंथ कश्यप दास,मुंगेर से पहुंचे देवनायक, जमात के पुजारी दशरथ दास,सज्जन कुमार गर्ग के विशेष भागीदारी रही। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पंगत में प्रसाद पाया। कल भ्रमणशील जमात बिहार के बख्तियारपुर के घोसबड़ी के लिए प्रस्थान करेगी।