झारखंड की शिक्षा व्यवस्था प्राइवेट स्कूल से उपर बनाने को प्रयासरत आईएएस आदित्य रंजन
जब आदेश सरकार के अनुरूप और राज्यहीत में हो तो आदेश का “पालन करना चाहिए या विरोध”? यह एक बड़ा विचारणीय प्रश्न है।
बीते दो दिनों से सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से एक खबर ट्रेंड कर रही है जिसमे “झारखंड शिक्षा परियोजना, निदेशक” सह आईएएस आदित्य रंजन द्वारा आयोजित कार्यशाला में चप्पल पहनकर ड्यूटी आने वाले शिक्षकों को निदेशक द्वारा चप्पल से ही मारने की बात कही जा रही है। हालांकि इस शब्द की पुष्टि शहर परिक्रमा नहीं करता है। किन्तु “शब्द” यदि कहा गया होगा तो वह शिक्षकों के निर्धारित ड्रेस कोड को लेकर कहा गया होगा।
आदित्य रंजन एक आईएएस ऑफिसर हैं और ड्रेस कोड उन्हें भली भाँति पता है। एक ओर झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को प्राइवेट स्कूल से उपर बनाने की सोच के साथ झारखंड सरकार आगे बढ़ रही है। जिसमें व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना प्राथमिकता है। इसी कड़ी में छात्रों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है। ठीक उसी प्रकार शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित है। सरकार की मंशा स्पष्ट है कि सरकारी कार्य अवधि में सुशासन अवश्य हो। ऐसे में विभाग के निदेशक यदी सुशासन को लेकर निर्देश जारी करते हैं तो यही झारखंड सरकार के व्यवस्था के अनुरूप है। बावजूद आईएएस आदित्य रंजन के कथन को तोड़ मरोड़ कर कुछेक शिक्षकों द्वारा विभिन्न जिलों में “चप्पल” पहनकर विद्यालय पहुंच विरोध दर्ज करा रहे हैं।
इधर इसी सवाल को लेकर शहर परिक्रमा के प्रतिनिधि ने सरकारी विद्यालय में अध्ययनरत कई बच्चों के अभिभावक से “जवाब” लेने का प्रयास किया गया। जिसमें अधिकतर अभिभावकों ने आईएएस आदित्य रंजन के आदेश को उचित बताया। जवाब में कहा कि शिक्षक के स्वभाव व पहनावा को बच्चे अनुसरण करते हैं। यदी शिक्षक स्कूल में अपने दायित्व का निर्वह करेंगे तो इसका सीधा असर विद्यालय में अध्ययनरत बच्चे अनुसरण करेंगे और समाज और देश के प्रति निष्ठावान होंगे। अब राज्यवासियों को तय करना है कि झारखंड सरकार के दूरगामी सोच को साकार करना है या अपनी पूरानी और निजी सोच को बरकरार रखना है।
हालांकि आदित्य रंजन ने कहा है कि कई ऐसी सेवा है जहां ड्रेस कोड लागू नहीं है। लेकिन ऑफिस/स्कूल/अस्पताल/समाहरणालय/मंत्रालय जैसी जगहों पर ड्रेस पहनने की एक “मर्यादा” तो होनी ही चाहिए। राज्य के मुख्य सचिव रह चुकी राजबाला वर्मा को भी हाइ कोर्ट ने “प्रॉपर ड्रेस” न पहनने के लिए लिए झाड़ लगाई थी।
उन्होंने आगे कहा कि फिर भी वर्कशॉप में उनके बयान से किसी को ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हूं। मेरी समझ है कि मामला यहीं खत्म हो जाना चाहिए।
रिपोर्ट: उत्तम जायसवाल