05 अगस्त: कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा की पुण्यतिथि आज
कॉमिक जगत् में लोकप्रिय पात्र ‘चाचा चौधरी’ को बनाने के कारण प्राण शर्मा आज भी अमर हैं : डॉ. प्रदीप सिंह देव
आज अपने वतन के प्राण कुमार शर्मा जिन्हें कार्टूनिस्ट प्राण के नाम से भी जाना जाता है, की पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 5 अगस्त, 2014 को उनकी मृत्यु हुई थी। भारतीय कॉमिक जगत् के सबसे सफल और लोकप्रिय कार्टूनिस्ट प्राण ने 1960 से कार्टून बनाने की शुरुआत की। प्राण द्वारा बनाए सर्वाधिक लोकप्रिय पात्र ‘चाचा चौधरी’, ‘साबू’, रॉकेट, बिल्लू एवं श्रीमतीजी हैं। प्राण कुमार शर्मा की बनाई कार्टून स्ट्रिप ‘चाचा चौधरी’ को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय में स्थाई रूप से रखा गया है। उनका जन्म 15 अगस्त, 1938 को कसूर नामक कस्बे में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया। राजनीति शास्त्र से एम.ए. और फ़ाइन आर्ट्स के अध्ययन के बाद सन 1960 से दैनिक मिलाप से उनका कैरियर आरम्भ हुआ। तब भारत में विदेशी कॉमिक्स का ही बोलबाला था। ऐसे में उन्होंने भारतीय पात्रों की रचना करके स्थानीय विषयों पर कॉमिक बनाना शुरू किया। एक बार प्राण साहब ने सोचा कि क्यों ना एक भारतीय कॉमिक्स पात्र बनाया जाए, एक बुड्ढा, जो अपने तेज दिमाग़ से चुटकियों मे समस्याओं को हल कर दे और इस तरह चाचा चौधरी ने सफ़ेद कागज़ पर जन्म लिया। चाचा चौधरी की बीवी का नाम ‘बन्नी चाची’ है। इनके कोई बच्चे नहीं हैं, पर इसी कॉमिक दुनिया के पात्र, ‘बिल्लू’ और ‘पिंकी’ चाचा चौधरी के बच्चों सामान ही हैं। एक जमाने में काफ़ी लोकप्रिय रही पत्रिका लोटपोट के लिए बनाये उनके कई कार्टून पात्र काफ़ी लोकप्रिय हुए। बाद में उन्होंने चाचा चौधरी और साबू को केन्द्र में रखकर स्वतंत्र कॉमिक पत्रिकाएं भी प्रकाशित कीं। बड़े से बड़ा अपराधी या छोटा-मोटा गुन्डा-बदमाश या जेब कतरा, कुत्ते के साथ घूमने वाले लाल पगड़ी वाले बूढ़े को कौन नहीं जानता। यह सफ़ेद मूंछों वाला बूढ़ा आदमी चाचा चौधरी है। उसकी लाल पगड़ी भारतीयता की पहचान है। कभी-कभी पगड़ी बदमाशों को पकड़ने के काम भी आती है। देशभर में ऐसा कोई और कार्टून चरित्र शायद ही हो जो सिर पर चटख लाल पगड़ी, चेहरे पर घनी मूंछों वाले छोटे से कद के चाचा चौधरी से ज्यादा प्रभाव रखता हो। इस मशहूर किरदार के रचयिता प्राण कुमार शर्मा अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गये हैं, जिसका कोई सानी नहीं है। कॉमिक्स प्रेमियों का मानना है कि प्राण के जाने से कार्टूनों की दुनिया में एक ऐसा ख़ालीपन पैदा हो गया है, जिसका भरना अब मुश्किल है। प्रसिद्ध कॉमिक्स के बैनर तले प्राण ने 500 से ज़्यायादा शीषर्क प्रकाशित किए। उनके 25,000 से ज्यादा कॉमिक्स अंग्रेज़ी, हिन्दी और बंगाली समेत कुल 10 भाषाओं में छपे। उनकी कई कृतियों पर कार्टून फ़िल्में भी बनाई गईं। उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। वर्ष 1995 में उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज किया गया था। इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्टूनिस्ट्स ने वर्ष 2001 में उन्हें ‘लाइफ टाईम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से नवाजा था। ‘द वर्ल्ड एनसाइक्लोपीडिया ऑफ कॉमिक्स‘ में प्राण को ‘‘भारत का वॉल्ट डिज्नी’’ बताया गया है और चाचा चौधरी की पट्टी अमेरिका स्थित कार्टून कला के अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय में लगी हुई है। उनका 75 साल की आयु में 5 अगस्त, 2014 मंगलवार की रात को गुड़गांव के एक अस्पताल में निधन हो गया।