देवघर (शहर परिक्रमा)

वैक्टर जनित रोग- डेंगू, चिकनगुनिया एवं दिमागी बुखार से संबंधित दो दिवसीय रिओरिएंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन

देवघर: डाॅ बिरेन्द्र कुमार सिंह, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, भीबीडी, झारखण्ड, रांची के अध्यक्षता में तथा डाॅ रंजन सिन्हा, सिविल सर्जन, देवघर, डाॅ प्रमोद कुमार शर्मा, प्रभारी अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, देवघर एवं डाॅ अभय कुमार यादव, जिला भीबीडी पदाधिकारी, देवघर की उपस्थिति में दिनांक 11.09.2024 के पूर्वाह्न 10ः00 बजे से सदर अस्पताल सभागार, देवघर में आज जापानीज इंसेफेलाइटीस (दिमागी बुखार-जेई तथा एईएस) पर जिला स्तरीय एक दिवसीय रिओरिएंटेशन प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें जिले के सभी प्रखण्डों से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, एमटीएस, एसआई, नोडल सीएचओ., बीटीटी. आदि सहित कुल 50 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
आज का रिओरिएंटेशन प्रशिक्षण डाॅ. प्रमोद कुमार शर्मा, डाॅ अभय कुमार यादव, देवघर, डाॅ बिजीत विश्वास, एम्स, देवघर, डाॅ गणेश कुमार यादव, जिला भीबीडी सलाहकार, देवघर के साथ-साथ राज्य से आये हुए श्री विनय कुमार, राज्य भी.बी.डी. सलाहकार (प्रषिक्षण), झारखण्ड़, रांची द्वारा संयुक्त रूप से दिया गया।
उपरोक्त रिओरिएंटेशन प्रशिक्षण पीपीटी के माध्यम से जापानीज इंसेफेलाइटीस (दिमागी बुखार-जेई तथा एईएस) से बचाव एवं नियंत्रण के साथ इसके प्रसरण को रोकने के विभिन्न उपायों को बताया गया। इसमें बताया गया कि जापानीज इंसेफेलाइटीस एक वायरस जनित बीमारी है। जो संक्रमित मादा क्यूलेक्स विशनौई नामक मच्छर द्वारा फैलता है। यह मच्छर प्रायः धान के खेतों, सिंचाई के लिए बनाये गये केनाल और पाइप लाइन्स, पोखर एवं तालाबों आदि में पनपती है। जहां पशु, पक्षी एवं मानव साथ-साथ रहते है। संक्रमित सूअर जापानीज इनसेफेलाइटीस को फैलाने में एमप्लीफाइंग होस्ट की भूमिका निभाते है। इसका निश्चित (डेफिनिट) होस्ट पलायन करने वाले हेराॅन्स पंछी (बगुला, बत्तख, हंस इत्यादि) होते है, जो वाइरस को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने का कार्य करते है। इन संक्रमित हेराॅन्स को जब मच्छर काटती है तो जेई का वाइरस मच्छर में आ जाता है। पुनः जब यह मच्छर किसी सूअर को काटती है तो जेई के वाइरस इसमें एमप्लीफाई करते हुए क्षमता में वृद्धि करता है तथा जब इन सूअरों का क्यूलेक्स मच्छर काटती है तो यह मच्छर संक्रमित हो जाती है एवं यह मनुष्यों में यह जेई बीमारी फैलाने के लिए तैयार हो जाती है। ऐसे मे बचाव एवं नियंत्रण के लिए यह आवश्यक है कि मच्छरों के नियंत्रण के साथ-साथ सूअरों को आवास से दूर रखा जाय एवं हमेशा ऐसे क्षेत्रों में निगरानी बनाये रखने के लिए सभी को बताया गया। साथ ही सूअर के आवासन वाले क्षेत्रों को सूचिबद्ध करने हेतु कहा गया।
जापानीज इंसेफेलाइटीस को मस्तिष्क ज्वर के नाम से भी जाना जाता है। जिसका लक्षण तेज बुखार, सरदर्द, गले में आकडन, बेहोशी, कम्पन्न, उल्टी आना, मिर्गी के लक्षण तथा शारीरिक क्रियाओं में अभाव मुख्य है। ऐसे लक्षण वाले रोगियों का सर्विलेंस करते हुए प्रतिवेदन जिला को उपलब्ध कराने के लिए प्रतिवेदन से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया। आगे बताया गया कि यह बीमारी कम शारीरिक क्षमता (इम्यूनिटी) वाले लोगों में तथा खास कर बच्चों में ज्यादा होने की संभावना रहती है तथा 250-300 लोगो में से एक व्यक्ति/बच्चा इसके संक्रमण का शिकार होते है। जापानीज इंसेफेलाइटीस का टीका 15 साल तक के बच्चों के लिए उपलब्ध है। यदि इसका समुचित इलाज ससमय नहीं होता है तो यह जानलेवा अथवा ठीक होने के बावजूद भी मानसिक विकलांगता कारण बनता है। मानसिक रूप से विकलांग बच्चों/व्यक्तियों के लिए रिहैबिलिटेषन सेंटर (पुनर्वास केन्द्र) एम्स, देवघर में प्रस्तावित है।
  अतः लोगों को सतर्क और सावधान रहने के साथ इन बीमारियों से बचने की भी सक्त जरूरत बल देते हुए संक्रमित मच्छर एवं जल-जमाव आदि से बचते हुए जापानीज इंसेफेलाइटीस से बचा जा सकता है। यह कार्य जन भागीदारी के बिना कतई संभव नहीं है। इसके जांच की सुविधा पीएमसीएच धनबाद, एमजीएम जमशेदपुर और रिम्स रांची में तथा उपचार की सुविधा सभी मेडिकल काॅलेज एवं सदर अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध है।
इसके लिए सूखा दिवस मनाने हेतु प्रत्येक सप्ताह में एक दिन अपने घर के आस-पास जल-जमाव वाले क्षेत्र को चिह्नित कर मच्छरों के प्रजनन स्थल को नष्ट करने का प्रयास हेतु जनजागरूकता कराने के साथ संभावित मरीज के घर तथा आस-पास में त्वरित मच्छर पर नियंत्रण से संबंधित गतिविधियों के तहत लार्वानाशी दवा का छिड़काव तथा आवश्यकतानुसार घर के बाहर फाॅगिंग करने की विधि एवं रिपोर्टिंग हेतु प्रपत्र भरने आदि के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए जिले में जापानीज इंसेफेलाइटीस के असन्न खतरे से निपटने के लिए सभी को रिओरिंएट किया गया। खासकर इसके रोकथाम हेतु धान के खेतों एवं तालाबों में नीम के सूखे पत्तों, जला हुआ मोबिल अथवा लार्वाभक्षी मछली (गम्बूसिया/गप्पी) को सहिया, एमपीडब्लू, कृशक मित्र तथा स्वयं सेवी की सहायता से डालने हेतु जनसमुदाय को प्रेरित करने के लिए बताया गया।
इस अवसर पर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, भी.बी.डी., झारखण्ड, रांची डाॅ बिरेन्द्र कुमार सिंह
सिविल सर्जन, देवघर  डाॅ रंजन सिन्हा
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ प्रमोद कुमार शर्मा
जिला भी.बी.डी. पदाधिकारी डाॅ अभय कुमार यादव
एम्स, देवीपुर, देवघर डाॅ बिजीत विश्वास
राज्य भी.बी.डी. सलाहकार (प्रशिक्षण) विनय कुमार
राज्य भी.बी.डी. सलाहकार (कालाजार) डाॅ अंजूम इकबाल
जिला भी.बी.डी. सलाहकार, देवघर डाॅ गणेश कुमार यादव
जिला डाटा प्रबंधक, आईडीएसपी राजीव कुमार
एफ.एल.ए., जिला भी.बी.डी. कार्यालय रवि सिन्हा
डी.ई.ओ., जिला भी.बी.डी. कार्यालय कांग्रेस मंडल, राकेश कुमार एवं अन्य उपस्थित थे।