17 सितंबर को आंशिक चन्द्रग्रहण, उत्तरी व दक्षिण अमेरिका, यूरोप में देखा जा सकेगा: डॉ. प्रदीप सिंह देव
विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को पूरे विधि-विधान के साथ मनाई जाएगी। इस दिन सृष्टि का निर्माण कार्य करने वाले भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है और उनकी पूजा की जाती है। साथ ही, इस वर्ष इसी दिन आंशिक चंद्रग्रहण भी होने जा रहा है। सितम्बर विषुव के करीब होने के चलते चंद्रमा सामान्य की तुलना में थोड़ा बड़ा दिखाई देगा, जो इसे और भी रोमांचक बनाएगा। चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति में होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे आ जाता है। ऐसा तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इसी क्रम एक सीधी रेखा में स्थित होते हैं। इस दौरान पृथ्वी सूर्य की रोशनी और चंद्रमा पर उसकी परछाई पड़ती है। छाया की वजह से पूरा चंद्रमा या उसका कुछ हिस्सा दिखाई नहीं देता है। इसे चंद्रग्रहण के नाम से जाना जाता है। स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनसार, फुल हार्वेस्ट मून के दौरान लगने वाला आंशिक चंद्रग्रहण उत्तरी अमेरिका के अधिकांश हिस्सों, पूरे दक्षिण अमेरिका, यूरोप में देखा जा सकेगा। इसके साथ ही यह अफ्रीका के पूर्वी भागों को छोड़कर बाकी हिस्से, एशिया और रूस के पश्चिमी भाग और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। सुपरमून कोई खगोलीय शब्द नहीं है। यह उस पूर्णिमा को कहा जाता है जो शरद विषुव के करीब होती है। इस वजह से चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, जिसके चलते इस समय यह आकाश में सामान्य की तुलना में थोड़ा बड़ा दिखाई दे सकता है। इस बार का सुपर मून चार सुपरमून में से दूसरा है। यह अगस्त के ब्लू मून के बाद हो रहा है।