7अक्टूबर: क्रांतिकारी दुर्गा भाभी जयंती
दुर्गावती देवी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रान्तिकारियों की प्रमुख सहयोगी थीं। उनका जन्म 7 अक्टूबर, 1907 को इलाहाबाद में हुआ था। प्रसिद्ध क्रांतिकारी भगतसिंह के साथ इन्होंने 18 दिसम्बर, 1928 को वेश बदलकर कलकत्ता मेल से यात्रा की थी। चन्द्रशेखर आज़ाद के अनुरोध पर ‘दि फिलॉसफी ऑफ़ बम’ दस्तावेज तैयार करने वाले क्रांतिकारी भगवतीचरण बोहरा की पत्नी दुर्गावती बोहरा क्रांतिकारियों के बीच ‘दुर्गा भाभी’ के नाम से मशहूर थीं। सन 1927 में लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिये लाहौर में बुलायी गई बैठक की अध्यक्षता इन्होंने की थी।
तत्कालीन बम्बई के गर्वनर हेली को मारने की योजना में टेलर नामक एक अंग्रेज़ अफ़सर घायल हो गया था, जिस पर गोली इन्होंने ही चलायी थी। असेम्बली बम कांड के बाद भगतसिंह आदि क्रांतिकारी गिरफ्तार हो गए थे। इन्होंने उन्हें छुड़ाने के लिए वकील को पैसे देने की खातिर अपने सारे गहने बेच दिए। तीन हज़ार रुपए वकील को दिए। फिर महात्मा गाँधी से भी अपील की कि भगतसिंह और बाकी क्रांतिकारियों के लिए कुछ करें। क्रांतिकारी भगवतीचरण बोहरा के साथ विवाह हो जाने के बाद दुर्गा भाभी शीघ्र ही वे अपने पति के कार्यों में सहयोग देने लगी थीं। उनका घर क्रांतिकारियों का आश्रयस्थल था। वे सभी का आदर करतीं, स्नेहपूर्वक उनका सेवा-सत्कार करतीं। इसलिए सभी क्रांतिकारी उन्हें ‘भाभी’ कहने लगे थे और यही उनका नाम प्रसिद्ध हो गया। अपने क्रांतिकारी जीवन में इन्होंने खतरा मोल लेकर कई बड़े काम किये। उनमें सबसे बड़ा काम था- लाहौर में लाला लाजपत राय पर लाठी बरसाने वाले सांडर्स पर गोली चलाने के बाद भगतसिंह को कोलकाता पहुँचाना। इन्होंने अंग्रेज़ों को सबक सिखाने के लिए पंजाब प्रांत के पूर्व गवर्नर लॉर्ड हैली पर हमला करने की योजना बनाई। दुर्गा भाभी ने उस पर 9 अक्टूबर, 1930 को बम फेंक भी दिया। हैली और उसके कई सहयोगी घायल हो गए, लेकिन वह घायल होकर भी बच गया। उसके बाद दुर्गा भाभी बचकर निकल गईं, लेकिन जब मुंबई से पकड़ी गईं तो उन्हें तीन साल के लिए जेल भेज दिया गया। बताया तो ये भी जाता है कि चंद्रशेखर आज़ाद के पास आखिरी वक्त में जो माउजर था, वह भी इन्होंने ही उनको दिया था।