24 अक्टूबर: गिरिजा देवी एवं मन्ना डे की पुण्यतिथि
आज ठुमरी की रानी गिरिजा देवी एवं पार्श्वगायक मन्ना डे की पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 24 अक्टूबर, 2017 को गिरिजा देवी की एवं 24 अक्टूबर 20से को मन्ना डे की मृत्यु हुई थी।
गिरिजा देवी का जन्म 8 मई, 1929 को कला और संस्कृति की प्राचीन नगरी वाराणसी में हुआ था। उनकी संगीत शिक्षा पाँच वर्ष की उम्र में ही शुरु हो गई थी। उनके प्रारम्भिक संगीत गुरु पण्डित सरयू प्रसाद मिश्र थे। नौ वर्ष की आयु में पण्डित श्रीचन्द्र मिश्र से उन्होंने संगीत की विभिन्न शैलियों की शिक्षा प्राप्त की। इस अल्प आयु में ही एक हिन्दी फ़िल्म ‘याद रहे’ में गिरिजा ने अभिनय भी किया था। उनके गुरु पंडित सरजू प्रसाद मिश्र ‘शास्त्रीय संगीत’ के मूर्धन्य गायक थे। उनकी खनकती हुई आवाज़ जहाँ दूसरी गायिकाओं से उन्हें विशिष्ट बनाती है, वहीँ उनकी ठुमरी, कजरी और चैती में बनारस का ख़ास लहज़ा और विशुद्धता का पुट उनके गायन में विशेष आकर्षण पैदा करता है। वे आधुनिक और स्वतंत्रता पूर्व काल की पूरब अंग की बोल-बनाव ठुमरियों की विशेषज्ञ और संवाहिका हैं। आधुनिक उपशास्त्रीय संगीत के भण्डार को उन्होंने समृद्ध किया है। उनकी उप-शास्त्रीय गायकी में परम्परावादी पूरबी अंग की छटा एक अलग ही सम्मोहन पैदा करती है। ख़्याल गायन से कार्यक्रम का आरम्भ करने वाली गिरिजा जी ठुमरी, चैती, कजरी, झूला आदि भी उतनी ही तन्मयता और ख़ूबसूरती से गाती हैं कि श्रोता झूम उठते हैं। उनकी एक कजरी “बरसन लगी” बहुत प्रसिद्ध हुई थी। अपने गायन में दक्ष होने के कारण ही गिरिजा देवी को ‘ठुमरी की रानी’ भी कहा जाता है।
वहीं मन्ना डे फिल्म जगत के एक सुप्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायक थे। उनका वास्तविक नाम प्रबोध चन्द्र डे था। उन्होंने सन् 1942 में फ़िल्म तमन्ना से अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत की और 1942 से 2013 तक लगभग 3000 से अधिक गानों को अपनी आवाज दी। मुख्यतः हिन्दी एवं बंगाली फिल्मी गानों के अलावा उन्होंने अन्य भारतीय भाषाओं में भी अपने कुछ गीत रिकॉर्ड करवाये। भारत सरकार ने उन्हें 1971 में पद्म श्री, 2005 में पद्म भूषण एवं 2007 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।