कोलकाता की श्रमना चट्टोपाध्याय को ‘सितारा देवी स्मृति नृत्यांगना पुरस्कार’ प्रदान करने का निर्णय
देवघर: अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। यूनेस्को की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्था की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय नाच समिति ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान् रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे की स्मृति में यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्थानीय ओमसत्यम् इंस्टिट्यूट ऑफ फिल्म, ड्रामा एंड फाइन आर्ट्स एवं विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान के युग्म बैनर तले त्रिदिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत 27 अप्रैल को देवघर में, कोलकाता की श्रमना चट्टोपाध्याय को ओमसत्यम इंस्टिट्यूट के निदेशक सह विवेकानन्द संस्थान के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव के हाथों ‘सितारा देवी स्मृति नृत्यांगना पुरस्कार’ की मानद उपाधि से अलंकृत एवं विभूषित की जाएगी।

संगीत नाटक अकादमी सम्मान पद्मश्री से सम्मानित सितारा देवी भारत की प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना थीं। जब वे मात्र 16 वर्ष की थीं, तब उनके नृत्य को देखकर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने उन्हें ‘नृत्य सम्राज्ञी’ कहकर सम्बोधित किया था। उन्होने भारत तथा विश्व के विभिन्न भागों में नृत्य का प्रदर्शन किया। श्री श्रवन चट्टोपाध्याय एवं श्रीमती श्रावणी चट्टोपाध्याय की एकमात्र कन्या श्रमना को पापा एवं मम्मी, रोमी, सोना माँ कहकर पुकारते हैं। प्रभातेर आलो स्कूल से उसkrकी पढ़ाई की शुरुआत हुई, फिर सरस्वती बालिका विद्यालय व शिल्पा शिक्षा सदन से बोर्ड और हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद उसने विद्यासागर महिला कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी की, रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम.ए. किया और अब वे रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से नृत्य में एम.ए. कर रही है। जब वे केजी की छात्रा थी, उसने महाजाति सदन, कोलकाता में अपना नृत्य प्रदर्शन प्रस्तुत किया। उसने वर्ष 2013-14 में सीसीआरटी जूनियर छात्रवृत्ति, वर्ष 2021-2022 में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय छात्रवृत्ति, राज्य स्तरीय प्रतियोगिता -2017 और 2023 में रजत पदक विजेता, अंतर्राष्ट्रीय कथक प्रतियोगिता- 2021 में कथक में दूसरा स्थान, वर्ष 2024 में राज्य संगीता पुरस्कार विजेता और राज्य स्तरीय चैंपियन पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है। इसके साथ ही विभिन्न शास्त्रीय प्रतियोगिताओं जैसे- अंतर विद्यालय नृत्य प्रतियोगिता, जिला स्तरीय प्रतियोगिता, अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता में कथक में उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया। उसके द्वारा लिखी गई कुछ कविताएँ कुछ पुस्तकों में प्रकाशित हुई हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रतिष्ठित समारोहों जैसे- शास्त्रीय नृत्य महोत्सव, 2024, बैद्यनाथ धाम महोत्सव, 2024, कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव, 2022 और 2025 में एकल कथक का प्रदर्शन भी उसने किया। माता पिता, गुरु प्रो. अमिता दत्त, प्रधानाध्यापिका शर्मिष्ठा भट्टाचार्य ही उसका आदर्श हैं। उसने श्रीमती शुक्ला सामंत, प्रो. दत्त और गुरु संदीप मल्लिक से नृत्य की शिक्षा ली है। फुर्सत के समय वे चित्रांकन, लेखन, गाना सुनना पसंद करती है। चूँकी नृत्य उसका ऑक्सीजन है, इसलिए वे निश्चित रूप से एक समर्पित कथक नर्तकी बनना चाहती है, साथ ही नृत्य की प्रोफेसर भी बनना चाहती है तथा सामाजिक विज्ञान और प्रदर्शन कला के बीच संबंध का आविष्कार करने की तमन्ना भी है।