देवघर (शहर परिक्रमा)

संदीपनी पब्लिक स्कूल में प्री प्राइमरी के बच्चों ने मनाई दीपावली

देवघर: झौसागढ़ी स्थित संदीपनि पब्लिक स्कूल में प्री प्राइमरी वर्ग के बच्चों के बीच दीपावली उत्सव का उल्लासपूर्वक आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी बच्चे रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजकर आए और बच्चे अपने अभिभावकों की सहायता से एक-एक सुंदर दीपक सजाकर लाए थे। कार्यक्रम की शुरुआत मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को पुष्प अर्पित कर की गई, जिसके पश्चात शिक्षिकाओं ने बच्चों को दीपावली के महत्व के बारे में जानकारी दी।

शिक्षिकाओं ने बच्चों को बताया कि दीपावली का त्यौहार भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन की खुशी में मनाया जाता है। लंका विजय के बाद भगवान श्रीराम ठीक 20 दिनों के पश्चात अयोध्या वापस लौटे थे और उस दिन अमावस्या थी काली अंधेरी रात थी और उनके के स्वागत हेतु अयोध्यावासियों ने अपने-अपने घरों के द्वारों पर दीपक जलाकर पूरे नगर को प्रकाशित किया था। यह त्यौहार पाँच दिनों का होता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज पर होता है।

उन्होंने बच्चों को दीपावली के समय पटाखों से सावधानी बरतने की सलाह देते हुए कहा कि बच्चों को पटाखे जलाते समय सूती कपड़े पहनने, पूरी बाजू के वस्त्र पहनने और जलते हुए पटाखों से दूरी बनाए रखने के बारे में समझाया गया। साथ ही, आग से संबंधित कोई भी दुर्घटना होने पर तुरंत बाल्टी में पानी या रेत का उपयोग करने का सुझाव भी दिया गया। अंत में इको-फ्रेंडली दीपावली मनाने के सुझाव भी दिए गए।

शिक्षिकाओं ने बच्चों को बताया कि दीपावली का धार्मिक एवं स्वास्थ्य से संबंधित महत्व भी है। पुराने समय में कच्चे मकान होते थे और बरसात के बाद उन्हें मरम्मत की जरूरत होती थी रंगा पुताई की जरूरत होती थी। साथ ही कीट पतंगे भी बहुत ज्यादा बढ़ जाते थे तो दीपावली से पूर्व घरों की सफाई और दीयों के प्रकाश से कीट-पतंगों को दूर किया जाता था, ताकि घर स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक रहे। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा कर आरोग्यता का वरदान माँगा जाता है, जबकि दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन एवं काली पूजा का भी आयोजन होता है।

दीपावली के दौरान मिठाइयों और उपहारों के आदान-प्रदान की परंपरा का महत्व बताते हुए शिक्षिकाओं ने बच्चों को समझाया कि इस त्योहार पर अपने रिश्तों में मिठास बढ़ाने, गरीबों की सहायता करने और समाज में समृद्धि लाने का भी संदेश छिपा है।

कार्यक्रम के अंत में भगवान गणेश और लक्ष्मी की आरती उतारी गई और सभी को प्रसाद में लड्डू वितरित किया गया।