18 नवंबर: क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त जयंती
बटुकेश्वर दत्त भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। उनका जन्म 18 नवम्बर, 1910 को हुआ था। बटुकेश्वर दत्त को देश ने सबसे पहले 8 अप्रैल, 1929 को उस समय जाना, जब वे भगतसिंह के साथ केंद्रीय विधान सभा में बम विस्फोट के बाद गिरफ्तार किए गए। उन्होंने आगरा में स्वतंत्रता आंदोलन को संगठित करने में उल्लेखनीय कार्य किया था।
सन 1924 में कानपुर में बटुकेश्वर दत्त की भगतसिंह से भेंट हुई थी। इसके बाद उन्होंने ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के लिए कानपुर में कार्य करना प्रारंभ किया और इसी क्रम में बम बनाना भी सीखा। उन्होंने 1924 में मैट्रिक की परीक्षा पास की और तभी माता व पिता दोनों का देहान्त हो गया। इसी समय वे सरदार भगतसिंह और चन्द्रशेखर आज़ाद के सम्पर्क में आए और क्रान्तिकारी संगठन ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन’ के सदस्य बन गए। सुखदेव और राजगुरु के साथ भी उन्होंने विभिन्न स्थानों पर काम किया। इसी क्रम में बम बनाना भी सीखा। आज़ादी के बाद नवम्बर, 1947 में अंजली दत्त से शादी करने के बाद बटुकेश्वर दत्त पटना में रहने लगे थे। उनको अपना सदस्य बनाने का गौरव ‘बिहार विधान परिषद’ ने 1963 में प्राप्त किया था। विदेशी सरकार जनता पर जो अत्याचार कर रही थी, उसका बदला लेने और उसे चुनौती देने के लिए क्रान्तिकारियों ने अनेक काम किए। ‘काकोरी’ ट्रेन की लूट और लाहौर के पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या इसी क्रम में हुई। तभी सरकार ने केन्द्रीय असेम्बली में श्रमिकों की हड़ताल को प्रतिबंधित करने के उद्देश्य से एक बिल पेश किया। क्रान्तिकारियों ने निश्चय किया कि वे इसके विरोध में ऐसा क़दम उठायेंगे, जिससे सबका ध्यान इस ओर जायेगा। उनकी मृत्यु 20 जुलाई, 1965 को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हुई। मृत्यु के बाद उनका दाह संस्कार उनके अन्य क्रांतिकारी साथियों- भगतसिंह, राजगुरु एवं सुखदेव के समाधि स्थल पंजाब के हुसैनीवाला में किया गया।