डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिन पर डीएवी में हुआ विविध कार्यक्रमों का आयोजन
देवघर: 3 दिसंबर को डीएवी पब्लिक स्कूल झुमरी तिलैया, कोडरमा की प्रातः कालीन सभा में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिन के अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य एवं समस्त शिक्षक शिक्षिकाओं ने उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। डॉ राजेंद्र प्रसाद एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे । देश के लिए उनके द्वारा दिए गए योगदानों को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता है। इस अवसर पर विद्यालय के छात्रों के द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए । विद्यालय की छात्रा प्रिय लक्ष्मी ने अंग्रेजी में तथा नेहा कुमारी ने हिंदी में अपने वक्तव्य द्वारा डॉ राजेंद्र प्रसाद की उपलब्धियों एवं योगदानों को सभी बच्चों को अवगत कराया। तत्पश्चात वंदना भारती ने एक हिंदी कविता तथा खुशी तिवारी ने अंग्रेजी में कविता के माध्यम से उनके जीवन के महत्त्वपूर्ण पक्षों को रखा। आकृति, अदिती कुमारी, अर्पिता कुमारी, आर्य यशस्वी, करिश्मा कुमारी, नैंसी कुमारी, अनन्या कौशल, ग्लोरिया ने एक देशभक्ति नृत्य प्रस्तुत की। परीक्षित और उसके समूह ने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के जीवन के विभिन्न घटनाओं पर एक लघु नाटक प्रस्तुत किया। विद्यालय के बच्चों ने डॉ राजेंद्र प्रसाद का सुंदर-सुंदर पोस्टर बना कर अपनी कलात्मकता का परिचय दिया।
मौके पर विद्यालय के प्राचार्य कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील एवं सफल पत्रकार थे। गांधी जी के आह्वान पर उन्होंने असहयोग आंदोलन में शामिल होकर देश के प्रति अपना समर्पण दिखाया ।उन्होंने भारत में शिक्षा के विकास को प्रोत्साहित किया तथा कई अवसरों पर सरकार को समुचित सलाह भी दी । उन्होंने राष्ट्र की दिशा एवं दशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे एक उदार ,सरल सादगी पसंद एवं निर्मल स्वभाव के व्यक्ति थे । भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न ‘ के पुरस्कार से सम्मानित किया था। वे धर्म, साहित्य, संस्कृति शिक्षा, इतिहास, राजनीति, भाषा हर स्तर पर अपने विचार व्यक्त करते थे। उनकी वाणी बहुत ही मधुर एवं ओजस्वी थी । हमें उनके द्वारा दिए गए आदर्श को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। उनकी प्रेरणा हम सभी लोगों के जीवन के लिए एक मार्गदर्शन है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के शिक्षक सूर्यकांत मिश्रा, निधि अम्बष्ट, गिरिजा शंकर पात्रो तथा पवन कुमार ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया ।