देवघर (शहर परिक्रमा)

औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्यशाला आयोजित


औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने और किसानों को इस क्षेत्र में नई संभावनाओं से परिचित कराने के उद्देश्य से क्षेत्रीय सह सुविधा केंद्र (RCFC-ER), जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता, राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (आयुष मंत्रालय, भारत सरकार) और चेतना विकास के संयुक्त प्रयास से रामराज आश्रम, देवघर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में झारखंड के देवघर, दुमका, गिरिडीह, धनबाद और साहेबगंज जिलों एवं बिहार के जमुई जिले के 150 से अधिक किसानों, वैद्यों, आदिवासियों, स्वयंसेवी संगठनों, उद्यमियों, आयुर्वेदिक कंपनियों, मार्केटिंग एजेंसियों और अन्य संबंधित हितधारकों ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य किसानों को औषधीय पौधों की खेती की तकनीकी जानकारी देना, उनके उत्पादन को प्रोत्साहन देना और विपणन के अवसरों से परिचित कराना था।


कार्यशाला की शुरुआत डॉ. सौम्यजीत विश्वा के द्वारा सभी गणमान्य अतिथियों के स्वागत और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। RCFC-ER, NMPB के नोडल कोऑर्डिनेटर, प्रोफेसर आशीष मजुमदार ने अपने विचार रखते हुए औषधीय पौधों की राज्य स्तरीय महत्वता और उनकी बढ़ती मांग पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इस क्षेत्र में संभावनाओं का उल्लेख करते हुए किसानों को इनसे जुड़ने का आह्वान किया तथा राज्य स्तरीय औषधीय प्लांट की जरुरत के प्रति सबका ध्यान आकर्षित किया।
जिला कृषि पदाधिकारी सह डी.ए.ओ यशराज जी ने औषधीय पौधों के उत्पादन, उनके विपणन की संभावनाओं और उत्तर भारत में उनकी बढ़ती मांग पर प्रकाश डाला। उन्होंने किसानों को इन पौधों के उत्पादन, मार्केटिंग और डिमांड के स्कोप के विषय में बताया।
कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक, कृष्णा प्रसाद ने झारखंड के जलवायु और मिट्टी के अनुसार बेहतर उगने वाले औषधीय पौधों जैसे सतावर, सर्पगंधा, कालमेघ, तुलसी, और अश्वगंधा की खेती के तरीकों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने इन पौधों के वैज्ञानिक पहलुओं, उनकी देखभाल और उत्पादन में गुणवत्ता बनाए रखने के तरीके भी समझाए। उन्होंने खेती के जैविक तरीकों और मवेशियों के महत्त्व पर विशेष चर्चा की।
कार्यशाला में RCFC-ER, NMPB के टेक्निकल कंसलटेंट, शांतनु चक्रवर्ती, चेतना विकास के सचिव कुमार रंजन एवं अन्य हितधारकों ने औषधीय पौधों की खेती और विपणन पर अपने-अपने विचार रखे।
इस कार्यक्रम ने न केवल किसानों और उद्यमियों को औषधीय पौधों की खेती की तकनीक सिखाई, बल्कि उन्हें इस क्षेत्र में व्यवसायिक अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित भी किया। कार्यशाला में किसानों ने अपनी जिज्ञासाओं को साझा किया और विशेषज्ञों से उनके समाधान प्राप्त किए।
इस आयोजन से झारखंड के संथाल परगना एवं बिहार के किसानों और अन्य हितधारकों को औषधीय पौधों की खेती में रुचि बढ़ाने और इस क्षेत्र को समृद्ध बनाने की दिशा में एक नया मंच मिला।