देवघर सेंट्रल स्कूल में मातृ दिवस का आयोजन
दुनिया का सबसे प्यारा शब्द है माँ। बच्चा जब पहले पहल मुँह खोलता है तब एक ही शब्द बोलता है। हाँ माँ को ईश्वर का दर्जा प्राप्त है क्योंकि यह माँ ही है जो हमें जीवन प्रदान करती है, पालन और पोषण करती है , तभी तो हमारी संस्कृति में मातृ देवो भव मंत्र से उन्हें देवी स्वरूपा माना गया है। आदि गुरु शंकराचार्य ने भी देवी क्षमापण स्रोत्र में कहा है पुत्र कुपुत्र जायते, क्वचिदपि माता कुमाता न भवति । माँ की श्रेष्ठता पूर्व हो या प्राच्य सर्वत्र सभी संस्कृति में समान रूप से पूजनीय है।
उपरोक्त बातें मातृ दिवस की पूर्व संध्या पर स्थानीय देवघर सेंट्रल स्कूल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्य ने कही।
इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत मातृ वंदना के साथ की गई। कई बच्चों ने माँ के विविध रूपों की चर्चा की।आयुष ने कहा कि हम नवरात्र में माता के जिन नवम रूपों की पूजा करते हैं वे सारे रूप तो एक माँ में स्पश्ट दिखते हैं। पीयूष ने कहा कि माँ नन्हे शिवा को क्षत्रपति शिवाजी बना देती है। धरा ने कहा कि माँ बच्चों के लिए ममता की प्रतिमूर्ति है पर मुसीबत आया देख घायल सिहनी बन जाती है, दुर्गा बन अपनी संतान की रक्षा करती है कीर्ति ने कहा की माँ के आँचल की छाया स्वर्ग से बढ़कर होती है जिसे पाने के लिए स्वयं भगवान भी ललायित रहते हैं। कार्यक्रम को बच्चों ने माँ के लिए पूर्णरूप से समर्पित करते हुए अनेक आकर्षक भाव नृत्य , कविता, गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के संयोजन व प्रस्तुतिकरण में सृजा, सोनम, श्रद्धा व शिम्पी कुमारी की भूमिका अभूतपूर्व थी। इस अवसर पर अनेक बच्चों की माताएं उपस्थित थी। बच्चों ने यह संकल्प दुहराया की वह प्रत्येक दिवस को मातृ दिवस के रूप में मनाएंगे। उपरोक्त सभी बातों की जानकारी मीडिया प्रभारी दिलीप कुमार पांडेय ने दी।