एसकेएम विश्वविद्यालय, दुमका में दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस शुरू
दुमका: सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका में शनिवार से दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस शुरू हो गया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 200 शोधार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम सुबह 10 बजे से विश्वविद्यालय कैंपस में स्थित स्मारक टिल्हा पर वीर सिदो-कान्हु का प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ शुरू हुआ। तत्पश्चात सभी मुख्य अतिथि कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे जहां स्नातकोत्तर राजनीतिक विज्ञान विभाग के छात्र-छात्राओं ने सभी का स्वागत पारंपरिक लोटा पानी से किया। उसके बाद सभी अतिथियों को आयोजन समिति के सदस्यों ने सामान पूर्वक मंच पर लेकर गए। उसके बाद छात्राओं का कुलगीत और दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम विधिवत शुरू हुआ, तत्पश्चात विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ संजीव कुमार शर्मा, डॉ हरिकेश सिंह, डॉ संजीव राय, सूरज जीत दास, डॉ सायंतनी बनर्जी का स्वागत पुष्पगुच्छ, मोमेंटो और अंगवस्त्र देकर किया। उसके बाद विश्वविद्यालय के छात्राओं ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत पारंपरिक गायन से की।
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ जैनेन्द्र यादव ने अपना स्वागत अभिभाषण में सभी विशिष्ट अतिथियों, विभिन्न संकाय के संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों,शिक्षकों एवं शोधार्थियों का स्वागत किया।
तत्पश्चात इस कॉन्फ्रेंस के सचिव डॉ संजीव कुमार सिन्हा ने विषय प्रवेश कराया और अपने अभिभाषण में शिक्षा को रोजगार को महत्वपूर्ण कारक बताया और कहा नारायण मूर्ति, धीरूभाई अम्बानी जैसे व्यक्तियों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
आज के मुख्य अतिथि डॉ संजीव कुमार शर्मा ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह को अपना कुछ हस्तलिखित पुस्तकें भेट की और फिर मंचासीन सभी अतिथियों ने कॉन्फ्रेंस का सोविनियर का अनावरण किया।
आज के मुख्य अतिथि प्रो डॉ संजीव कुमार शर्मा ने अपना वक्तव्य में कहा आधुनिक शिक्षा प्रणाली में कई विरोधाभास होने की बात करते हुए कहे सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर छात्रों की प्रतिभा को पहचानते हुए उसे बढ़ावा देना की बात कहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में आधुनिक शिक्षा व्यवस्था को भारतीय पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था से जोड़ने की वकालत करते हुए शिक्षा व्यवस्था को ऐसे बनाने की बात किए जो बच्चों को श्रेष्ठ नागरिक बनाये ताकि श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण हो सकें।
अध्यक्षीय भाषण में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह ने स्किल एडुकेशन को बढ़ावा देने का बात करते हुए कहा कि शिक्षा ऐसा होना चाहिए जो रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये। इस कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन समारोह के अंत में विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ संजय कुमार सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
पहला टेक्निकल सेशन डॉ हरिकेश सिंह के अध्यक्षता में दोपहर 12:15 से शुरू हुई। पहले वक्ता के तौर पर सुरजजीत सिंह ने एनएलसी द्वारा रोजगार उत्पन्न करने के क्षेत्र में भूमिका को विस्तार से बताते हुए कहा स्किल डेवेलपमेंट सम्बन्धित कोर्स शुरू करना चाहिए ताकि शिक्षा संस्थानों से शिक्षित स्किल्ड छात्र निकले।
पहले टेक्निकल सत्र के दूसरे वक्ता के रूप में प्रो. सी. बी. शर्मा ऑनलाइन जुड़े और एनईपी के विभिन्न आयामों पर बात करते हुए कहा एनईपी का शिक्षा मॉडल का शिक्षा मॉडल छात्रों को ज्यादा स्किल्ड बनाएगा। साथ ही उन्होंने कहा हायर एडुकेशन और स्कूली शिक्षा के बीच समन्वय स्थापित करने और स्थानीय भाषाओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बच्चों को शिक्षा दिए जाने की आवश्यकता है। अंत में प्रश्नोंतर सेशन के साथ पहला टेक्निकल सेशन सम्पन्न हो गया।
दूसरा टेक्निकल सत्र डॉ संजीव राय के अध्यक्षता में 2:30 बजे शुरू हुआ। इस सत्र के प्रथम वक्ता के रूप में शायणतनी बनर्जी ने सॉफ्ट स्किल के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बात करते हुए सॉफ्ट स्किल 21वी की आवश्यकता बताई।
दूसरे वक्ता के रूप में डॉ संजीव कुमार राय ने शिक्षा संस्थानों को रोजगारोन्मुख और छात्र हित को ध्यान में रखते हुए कोर्स बनाने का सलाह दिया और कहा छात्रों में हौसला, हिम्मत और हुनर विकसित आवश्यकता है और पारंपरिक के साथ आधुनिकता को स्वीकारना आज के संदर्भ में आवश्यक है। साथ ही उन्होंने कहा शिक्षकों को अपने विद्यार्थियों को इस तरह से तैयार करना चाहिए कि वे आसानी से असफलता को स्वीकार कर सके।
दूसरे वक्ता के रूप में डॉ हरिकेश सिंह ने वीर सिदो-कान्हु को नमन करते हुए अपने वक्तव्य शुरू किया और कहा अगर किसी छात्र ने अभिवृत्ति, स्किल एवं ज्ञान प्राप्त कर लिया तो उसे रोजगार पाने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने अपने वक्तव्य में आत्म योग, ज्ञानयोग, कर्मयोग और सहयोग के बारे में विस्तार से बात किए।
तीसरा टेक्निकल सत्र में लगभग 10 शोधार्थियों में अपना रिसर्च पेपर पढ़ा एवं राष्ट्र गान के साथ आज का कार्यक्रम सम्पन्न हो गया। पूरे कार्यक्रम में मंच संचालन इतिहास विभाग की सहायक प्राध्यापिका सुश्री अमिता कुमारी ने की। कार्यक्रम में लगभग 200 शोधार्थियों के अतिरिक्त विश्वविद्यालय के प्राध्यापक आदि ने भाग लिया।
रिपोर्ट- आलोक रंजन Alok Ranjan