दुमका (शहर परिक्रमा)

बच्चों एवं किशोर में चिंता एवं विषाद एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है. डॉ विनोद कुमार शर्मा

दुमका: सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष सह मेंटल हेल्थ मिशन इंडिया के नोडल ऑफिसर व मानसिक स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के निदेशक डॉ विनोद कुमार शर्मा ने सोमवार को उत्क्रमित मध्य विद्यालय, बोलपुर में ‘चाइल्ड मेंटल हेल्थ’ विषय को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों व किशोरों में चिंता व विषाद एक कॉमन मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम बन गया हैं। 8-11 साल के बीच बच्चों में मानसिक विकार के लक्षण शुरू होने लग जाते हैं। अच्छे संस्कार, परंपरा एवं संस्कृति के निर्माण हेतु स्वास्थ्य मन का होना भी अनिवार्य हैं। बच्चे अनुशासन व अच्छे शीलगुण व आचरणों के द्वारा एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण कर सकते हैं। बच्चों को चाहिए कि वो अपने सुचरित्र निर्माण के नियमों पर चले जहाँ वो न तो झूठ बोले, चोरी या बेईमानी करे, और न ही वो नशा आदि का सेवन करे। बच्चों को चाहिए कि अकादमिक गतिविधियों में नई चीजों को जानने व खोजने में मन तो अवश्य लगाए साथ ही योगा व खेल के द्वारा अपने प्रतिभावान व प्रतियोगी भी बनाये। रोजगार परक कौशलों को सीखे व तनाव से बचे। विफलता की स्थिती न उत्पन्न होने दे और कुसमायोजित व्यवहार प्रदर्शित करे। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ जीवन में आगे बढे व एक दूसरे को सहयोग करने की भावना जागृत करे। बच्चों को स्वास्थ्य माहौल न मिलने से उसमें भी मनोविकारी लक्षणों का प्रादुर्भाव होने तय बात हैं। ऐसे में एक ओर बच्चे जहाँ भावना में आकर तुरंत आवेगी हो जाते हैं। आवेग में आकर ह्त्या , आत्महत्या, खून-खराब आदि घातक कदम उठा बैठते हैं तो वहीं दूसरी ओर अपंगता या बौद्धिक कमियों में हीनता की भावना उत्पन्न होती हैं जिसके क्षतिपूर्ति में बच्चे नशा या बाल अपराध जैसी व्यवहारों की ओर उन्मुख हो जाते हैं। तनाव, भय व असुरक्षा की स्थिति में बच्चों में विषाद, चिंता, इटिंग डिसॉर्डर, मनोविदिलता, फोबिया आदि रोग लक्षण उत्पन्न होते हैं तो न्यूरो बियोलॉजिकल गड़बड़ी के कारण मानसिक मंदता, ए डी एच डी, ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, विजुअल एंड हियरिंग एम्पर्यर्ड, आदि मानसिक रोग की शिकायते भी सामने आती हैं जिसे भी उपचार के साथ समेकित शिक्षा प्रदान कर पुनर्वास योग्य बनाया जाता हैं। यह कार्यक्रम प्रभारी प्राचार्य दीपक कुमार मिश्रा के उपस्थिति में किया गया जहाँ उन्होंने विधार्थियो को डॉ शर्मा के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बातों को जीवन में अनुसरण कर चलने को कहा।

रिपोर्ट- आलोक रंजन Alok Ranjan