देवघर: सामाजिक जागरूकता से ही बाल विवाह जैसी समाप्त किया जा सकता है:- उपविकास आयुक्त
दिनांक- 06.11.2023 को सूचना भवन सभागार में बाल विवाह एवं बाल हिंसा विषय पर उपविकास आयुक्त देवघर, डॉ. ताराचंद की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी रवि कुमार, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती रुन्नु मिश्रा, देवघर जिला के विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपविकास आयुक्त ने कहा कि राज्य सरकार के मार्गदर्शन एवं यूनिसेफ, XISS, जिला महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा के तकनीकी सहयोग से पूरे जिले में 31.10.2023 से 14.11.2023 तक ‘सुरक्षित बचपन खुशहाल जीवन’ कैंपेन चलाया जा रहा है। जिसका उद्देश्य है बाल विवाह, बाल शोषण जो कि हमारे सभ्य समाज के लिए एक बदनुमा दाग जैसा हैं को जड़ से पूरी तरह समाप्त किया सके। आगे उन्होंने कहा कि जब हम अपने बच्चें/बच्चियां को एक स्वस्थ एवं सुरक्षित जीवन-यापन के साथ-साथ बेहतर शिक्षा देंगे, तभी हम हमारे समाज मे फैले इन कुरीतियों को जड़ से समाप्त करते हुए एक बेहतर समाज के साथ-साथ बेहतर राज्य व देश का निर्माण कर पाएंगे।
आगे उप विकास आयुक्त ने कहा कि आप सभी मीडिया बंधुओ का बेहतर समाज के निर्माण व समाज मे व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने में काफी अहम योगदान है। ऐसे में जिलावासियों के साथ-साथ आप सभी का सहयोग काफी महत्वपूर्ण है। आप सभी अपने अखबारों व चैनलों के माध्यम से बाल विवाह से सबंधित दुष्परिणामों का व्यापक प्रचार-प्रसार करे। साथ ही बाल विवाह को समाप्त करने की दिशा में बेहतर कार्य करने वाले लोगो को भी रोल मॉडल के रूप में समाज के सामने लाने में सहयोग करें, ताकि लोग इन रोल मॉडल से प्रेरणा लेते हुए इन कुरीतियों को समाज से जड़ से समाप्त किया जा सके।
बाल विवाह हमारे सभ्य समाज के लिए एक बदनुमा दाग है
उपविकास आयुक्त डॉ. ताराचंद द्वारा जिले के पत्रकार बंधुओं के साथ आयोजित इस जागरूकता कार्यक्रम के दौरान कहा कि माता पिता द्वारा बच्चों की कम उम्र में शादी करके यह न सोचें की उनके दायित्व पूर्ण हो गया, यह एक जघन्य अपराध है। जिसके तहत हम अपने बच्चों की शादी उस वक्त करा देते है, जब वे खुद अपरिपक्व होते हैं, उनका स्वयं का मानसिक, शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पाता है, यह बेहद गंभीर बात है। इस तरह हमारे समाज मे अपंगता, कुपोषण, बच्चों में मृत्यु दर बढ़ना आम बात हो जाएगी। इसलिए बच्चे जब इस बोझ को संभालने के लिए परिपक्व हो जाए तभी उनका ब्याह करें। इस दरम्यान उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों, समाज के बुद्धिजीवी वर्ग, मीडिया बंधु सभी का यह दायित्व है कि समाज को इस कुचक्र से बाहर निकालने में अपनी सक्रिय भूमिका को निभाएं। यह सिर्फ कानून के भय से समाप्त नहीं होगा। आगे उपविकास आयुक्त ने मीडिया से अपील करते हुए कहा कि इसे रोकने में आपकी भूमिका और भी अहम हो जाती है, आप लोग अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें, ताकि इसका जड़ से उन्मूलन हो सके।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को दें सूचना, होगी कार्रवाई
उन्होंने जिलावासियोंसे अपील करते हुए कहा कि अगर अपने आस-पास बाल विवाह हो रहा है तो आप अपने क्षेत्र के बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (उपायुक्त, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, अनुमंडल अधिकारी, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, अंचल अधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, प्रखण्ड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षिकायें, पंचायत सचिव,) या स्थानीय कानून प्रवर्तन अधिकारीयों या बाल संरक्षण एजेंसियों, 112 या चाइल्ड लाईन 1098 पर रिपोर्ट कर सकते है। उपरोक्त स्तर से उचित कार्यवाई की जाएगी।
मौके पर जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रवि कुमार ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में हम सभी जी रहे हैं और समाज में इस तरह की कुप्रथा पर आज भी चर्चा करना यह दुखद है, हमलोग सरकार एवं समुदाय दोनो से जुड़े हैं, ऐसे में हमारा दायित्व बेहद अहम है। इस कुप्रथा का घातक प्रभाव हमारे बच्चों पर पड़ रहा है। जिसे समाप्त करने हेतु हम सभी को महाआंदोलन की तरह इसे लेना होगा एवं इसके उन्मूलन के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे।