स्थापना के 23 वर्षों में झारखंड के विकास में शिक्षा का योगदान
झारखंड ने पिछले तीन दशकों में इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा में अविश्वसनीय प्रगति की है। यह थीसिस भारत में तकनीकी शिक्षा के वर्तमान विकास पर चर्चा करती है और कुछ चुनिंदा भारतीय संस्थानों – एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ( IIT), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और निजी इंजीनियरिंग कॉलेज की तुलना प्रस्तुत करती है। एक अंतर्राष्ट्रीय तुलना से पता चलता है कि अधिकांश भारतीय संस्थान प्रभावी रूप से स्नातक – शिक्षण संस्थानों से लेकर शिक्षण और अनुसंधान संस्थानों तक विकसित नहीं हुए हैं। तुलना छात्र के आउटपुट, कुल उपाधियों के स्नातकोत्तर के अनुपात, छात्र से संकाय अनुपात, चयनात्मकता, प्लेसमेंट, संकाय वेतन, प्रकाशन और वित्त पोषण के आधार पर की गई हैं।
झारखंड में शिक्षा का स्तर सुधारने और लोगों को साक्षर बनाने के प्रयास होते रहे हैं। झारखंड राज्य स्थापना से पहले और बाद के वर्षों में काफी तेजी से सुधार भी हुआ है। लेकिन आज भी शत प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य से जहां राज्य पीछे है। वहीं सरकारी स्कूलों से बच्चों का ड्रॉप आउट को रोकना बड़ी चुनौती है। उच्च शिक्षा में निचले पायदान पर रहनेवाले झारखंड में पिछले 23 वर्षों में कई नए कॉलेज और विश्वविद्यालय खुले। तकनीकी शिक्षा के लिए भी कई संस्थानों की स्थापना हुई। इसके बावजूद झारखंड इसमें अभी भी काफी पीछे है। राज्य में न केवल नए उच्च शिक्षण संस्थान खोलने की आवश्यकता है,बल्कि पूर्व से संचालित संस्थानों में संरचनाओं के विकास तथा गुणवत्ता में सुधार लाने की जरूरत है। निजी क्षेत्रों को भी बढ़ावा देना होगा। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि संस्था भी न आवश्यक मापदंडों का अनुपालन करते हों।
लेखक अमित कुमार सिंह, गीता देवी डीएवी पब्लिक स्कूल, कास्टर टाउन, देवघर ( झारखंड) के शिक्षक हैं।