मनुष्य अभाव से नहीं बल्कि स्वभाव से ही ज्यादा दुख पाता है : पं. शंभू शरण लाटा
संगीतमय राम कथा बाबा बैजनाथ नगरी देवघर में पुरन्दाह मोड होटल शांति इंटरनेशनल के सभागार में कथा के अंतिम दिन भी कथावाचक शंभू शरण लाटा जी ने सुंदरकांड एवं रामराज प्रसंग पर भक्तों को बताया। कथावाचक शंभू शरण जी के मुखारविंद से भक्ति की गंगा बह रही है आज कथा का अंतिम दिन में भी भक्तों की काफी संख्या में भक्तों ने राम कथा का रसपान किया।
कथावाचक ने कहा सुंदरकांड के प्रसंग में देखो कोई शांति की खोज में निकलता है समाज के लोग पहले साधु महाराज के रहने की भोजन की व्यवस्था समाज के लोग ही करते थे हनुमान जी माता सीता की खबर लगाने निकल पड़े रास्ते में रावण के कई दुत मिले लेकिन हनुमान तो अपने शक्तिशाली थे किसी की एक न चली सागर पार कर रहे थे एक राक्षस ने हनुमान जी की छाया पड़कर नीचे उतार दि लेकिन हनुमान जी उसे एक ही बार में मार डाला
कथावाचक ने कहा जिसके पास भजन है उसके पास सब कुछ है कलयुग में जितना भगवान का स्मरण करोगे उतना ही सुखी रहोगे भगवान का स्मरण से बड़ा कुछ नहीं।
हनुमान जी सीता का पता लगाने लंका जा पहुंचे और अशोक वाटिका जा पहुंचे और वहां राम राम की आवाज आई और देखा सीता एक पेड़ के नीचे राम राम का जाप कर रही है। वह सीता के पास आया और कहा- माते, मैं दशरथ पुत्र राम का भक्त हूं। लेकिन सीता को विश्वास नहीं हुआ। हनुमान जी ने राम की मुद्रिका अंगूठी निकालकर सीता को दिखलाइए तब सीता को विश्वास हुआ। हनुमान जी को भूख लग गई। माता से आज्ञा लेकर फल खाने को चले गए। बाग उजाड़े, फल खाऐ और अक्षय कुमार को मार गिराए। हनुमान को बंदी बनाकर रावण के पास लाया गया और हनुमान की पूछ पर आग लगाई। हनुमान ने पूरी लंका को जला दिया और वह माता के पास आया और कहा- माता अपनी कोई निशानी दो जो मैं राम को दिखला सकूँ। माता ने अपनी चूड़ामणि निकालकर हनुमान को दी। हनुमान जी चूड़ामणि लेकर राम को लाकर दी।
इसके बाद कथवाचक ने भक्तों को लंका कांड में प्रवेश कराते हुए कहा कि अब समुद्र में पुल बनाने की तैयारी हो गई। राम ने पूछा- पत्थर पत्थर कैसे जुड़ेंगे? हनुमान जी बोले- एक काम करो पत्थर पत्थर पर लिख दो श्री राम का नाम प्रभु कृपा से तर जाएगे यह पतथर।
कथावाचक ने कहा भगवान के नाम से पत्थर नहीं समाज जुड़ता है जिस प्रकार हम लोग 9 दिन से जुड़े हैं।
रावण मर गया। सीता को लेकर राम जी अयोध्या पहुंच गए। अब राज तिलक की तैयारी कर राम जी को सिंहासन पर बिठाया गया और अयोध्या का राजा घोषित किया गया।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से गौरीशंकर अग्रवाल, महेश अग्रवाल, निशा अग्रवाल, दिवेश अग्रवाल, नीलेश अग्रवाल, दिनेश अग्रवाल, हर्ष सांवरिया, महावीर अग्रवाल, शिवकुमार सर्राफ, सचिन सुलतानिया, संदीप अग्रवाल, पंकज अग्रवाल, श्यामा देवी अग्रवाल, बिलोतिया परिवार छत्तीसगढ़ चापा निवासी इत्यादि उपस्थित थे।