देवघर: विद्युत दर में वृद्धि के प्रस्ताव पर संप चैम्बर ने दर्ज कराई सख्त आपत्ति
आज स्थानीय शिल्पग्राम ऑडिटोरियम में जेबीवीएनएल द्वारा विद्युत दर में वृद्धि के लिए पेश प्रस्ताव पर झारखण्ड राज्य विद्युत नियामक आयोग ने जनसुनवाई का आयोजन किया। जनसुनवाई में संताल परगना चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज देवघर के प्रतिनिधिमंडल के साथ उपस्थित चैंबर के अध्यक्ष आलोक मल्लिक ने प्रस्तावित विद्युत दर में वृद्धि के विरूद्ध स्पष्ट विरोध दर्ज कराया। इस संबंध में उन्होंने आयोग से कहा कि हमारे आपत्तियों पर विचारोपरांत ही विद्युत दर की वृद्धि पर कोई निर्णय लिया जाय।
चैंबर अध्यक्ष श्री मल्लिक ने पक्ष रखते हुए कहा कि जेबीवीएनएल प्रत्येक वर्ष नियामक आयोग के पास दर में वृद्धि का प्रस्ताव लाती है जो युक्तिसंगत नहीं है। दर में वृद्धि का प्रस्ताव कम से कम 3 वर्षों के बाद ही लाने की बाध्यता होनी चाहिए। वृद्धि के प्रस्ताव पर तब तक विचार नहीं होना चाहिए जब तक आयोग द्वारा पारित पिछले आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया गया हो अथवा उन आदेशों की कारवाई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं किया गया हो। उन्होंने आगे कहा कि झारखण्ड कोयला उत्पादन में अग्रणी होते हुए भी विद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है और विद्युत खरीद कर उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराती है जिससे उपभोक्ताओं को ज्यादा दर भुगतान करना होता है। आयोग इन्हें राज्य में विद्युत उत्पादन पर जोर देने को विवश करे। जेबीवीएनएल का राज्य के अधिकांश हिस्सों में विद्युत वितरण में एकाधिकार है। निजी क्षेत्र को भी विद्युत वितरण का आदेश मिलना चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को बिजली कंपनी चुनने की स्वतंत्रता रहे। देवघर में डीवीसी को विद्युत वितरण के क्षेत्र में आने की अनुमति दिलाया जाना चाहिए।
चैंबर ने बताया कि बिना गुणवत्तापूर्ण बिजली वितरण व्यवस्था सुनिश्चित कराए फिक्स्ड चार्ज और इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में वृद्धि के प्रस्ताव को सीधे तौर पर नकारा जाना चाहिए। जेबीवीएनएल ट्रांसमिशन लॉस और राजस्व वसूली में लॉस का भार उपभोक्ताओं पर ही डालना चाहती है जिसे न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता। पिछले वर्षों की तुलना में राजस्व और ट्रांसमिशन दोनों तरह के लॉस घटने की बजाय बढ़ गई है। आयोग इसे गंभीरता से ले और जेबीवीएनएल की त्रृटियों और कमियों को ढांकने के लिए उपभोक्ताओं पर दर में वृद्धि जैसे प्रस्ताव को नामंजूर करे। झारखंड में प्राकृतिक खनन संसाधनों की प्रचुरता, आर्थिक विकास की पहल की जरूरत, समाज कल्याण निहित पॉलिसी, कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने, ग्रामीण विद्युतीकरण की रफ्तार बढ़ाने जैसे सोशल और राजनैतिक कारणों से झारखण्ड को सस्ती दर पर बिजली मिलने की पात्रता होनी चाहिए न कि प्रत्येक वर्ष उपभोक्ताओं को मूल्य वृद्धि का दंश झेलना पड़े। इसके अलावे अध्यक्ष आलोक मल्लिक ने जेबीवीएनएल के प्रस्ताव पर बिंदुवार अनेक विसंगतियों की ओर विद्युत नियामक आयोग का ध्यान खींचा और आयोग के अध्यक्ष को लिखित प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया।
बिना उचित और पूर्ण भरोसे से जेबीवीएनएल ने ऊर्जा शुल्क में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। हमलोगों के जानकारी में जेबीवीएनएल के घाटे का मुख्य कारण बहुत अधिक एटी एंड सी घाटा और खराब बिलिंग और संग्रहण दक्षता ही है। अतः जेबीवीएनएल अधिकारियों को एटी एंड सी हानि को कम करने, बिलिंग संग्रह दक्षता में उल्लेखनीय सुधार करने के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए और यदि उनकी खरीद मूल्य में वृद्धि हुई है तब भी ऊर्जा दरों में वर्तमान स्थिति में वृद्धि की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को विद्यृत नियामक आयोग से संरक्षण मिल सके।
चैंबर की ओर से संजय मालवीय, मनीष सुल्तानिया, अशोक मोदी, संजय बंका, बीरेंद्र सिंह ने भी वृद्धि दर के प्रस्ताव पर आपत्ति और जेबीवीएनएल की सेवा त्रुटियों की ओर आयोग का ध्यान खींचा।