दुमका: धूमधाम से मनाया गया एसकेएम विश्वविद्यालय का 33वां स्थापना दिवस
दुमका: सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका का 33वां स्थापना दिवस कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को धूम-धाम से विश्वविद्यालय के सभागार में मनाया गया।
कार्यक्रम में झारखण्ड ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. त्रिवेणी नाथ शाहू का स्वागत विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर पारंपरिक लोटा-पानी से किया गया। कार्यक्रम परिसर का स्मारक टीला पर स्थित वीर सिदो कान्हु मुर्मू का प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ शुरू हुआ। तत्पश्चात पारंपरिक स्वागत के साथ मुख्य अतिथि को विश्विध्यालय सभागार में लाया गया।
विश्वविद्यालय सभागार में कार्यक्रम की शुरुआत सभी अतिथियों ने दीप प्रज्वलन के साथ किया तत्पश्चात विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह ने कार्यक्रम के मुख्यातिथि का स्वागत अंगवस्त्र देकर किया वही कुलपति और कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे डॉ. बिमल प्रसाद सिंह का स्वागत पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने किया। तत्पश्चात विश्वविद्यालय का कुलगीत के साथ कार्यक्रम विधिवत शुरू हुआ। स्वागत भाषण देने आये विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. बिनय कुमार सिन्हा ने मुख्य अतिथि सहित सभागार में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया, तत्पश्चात विश्वविद्यालय के कुलपति और मुख्य अतिथि ने वर्ष 2023 में सेवानिवृत्त हुए सभी शिक्षकों को शिक्षकेतर कर्मचारियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
सेवानिवृत्त पूर्व प्राचार्य डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने अपना संबोधन में विश्वविद्यालय से जुड़े अपनी यादो को साझा करते हुए विश्वविद्यालय को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा छात्रों को उपलब्ध करने का सलाह दिया और कहा विश्वविद्यालय में कई खामियां है इसके बावजूद लगातार विश्वविद्यालय अच्छा करते आ रही है मेरी शुभकामनाएं है कि आगे भी अच्छा करते रहे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और झारखण्ड राज्य ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो डॉ. त्रिवेणी नाथ शाहू ने अपने वक्तव्य में विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस पर विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं देते हुए सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय को धर्म और कर्म अनोखा संयोग बताया और कहा यह विश्वविद्यालय धार्मिक स्थल के वजह से तो जाना ही जाता है साथ ही साथ वीर सिदो, कान्हु, चाँद, भेरव और फूलो झानो के योगियों का भी भूमि है।
उन्होंने कहा पिछले 32 वर्षों में इस विश्वविद्यालय ने अपने मेहनत से एक नया मकाम हासिल किया है इसके लिए पूरा विश्वविद्यालय परिवार बधाई के पात्र है। उन्होंने अपना वक्तव्य में इस विश्वविद्यालय का स्थापना करने वाले व्यक्तियों का नमन करते हुए कहा इस विश्वविद्यालय को आगे ले जाने की जिम्मेदारी अब वर्तमान पीढ़ी पर है। उन्होंने कहा निरंतर काम करने की प्रवृति, नए चीजों को सीखने की ललक और संगठित होकर अगर प्रयास किया जाए तो इस विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाया जा सकता है। उन्होंने भाग्य की बैषाखी पर ना चलते हुए अपने कर्म पर ध्यान देने का सलाह देते हुए अपना वक्तव्य संपन्न किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ. बिमल प्रसाद सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सभी को स्थापना दिवस की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा बहुत हर्ष का विषय है कि आज हम अपना 33वां स्थापन दिवस मना रहे है। यह विश्वविद्यालय का स्वर्णिम इतिहास रहा है। विश्वविद्यालय आज जिस मुकाम पर है उसमें इस विश्वविद्यालय से जुड़े व्यक्तियों का परिश्रम और मेहनत दिखता है। आज विश्वविद्यालय अपना प्रौढ़ अवस्था में पहुँचा गया है ऐसे में विश्वविद्यालय के समक्ष कई चुनोतियाँ और अवसर है अब हम सभी को यहाँ से उन चुनोतियों का सामना करते हुए इस विश्वविद्यालय को आगे लेकर जाने का कार्य करना है। आपसी सामंजस्य और ताल-मेल से ही विश्वविद्यालय अब तक आगे बढ़ा है और आगे भी सीमित संसाधनों में हमें इसे आगे लेकर जाना है। उन्होंने अपना वक्तव्य में कहा शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मचारियों की कमी, कॉलेजों में आधारभूत संरचनाओं की कमी की कमी के बावजूद हम शिक्षा के साथ अन्य क्षेत्रो में लगातार अच्छा कार्य कर रहे है यही कारण रहा है कि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं विभिन्न प्रतियोगिताओं के साथ साथ खेल-कूद एवं अन्य क्षेत्र में भी विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए न सिर्फ विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहा है बल्कि इस क्षेत्र का भी नाम रोशन कर रहे है। अंत में उन्होंने विश्वविद्यालय के स्थापना में मुख्य भूमिका निर्वाह करने वाले वीर और विरानगानोंओं को नमन करते हुए अपनी बात को संपन्न किया। स्नातकोतर इतिहास विभाग की सहायक प्राध्यापिका अमिता कुमारी ने मंच संचालन की जिम्मेदारी निर्वाह की। विश्वविद्यालय के डीएसडब्लू डॉ. संजय कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया तत्पश्चात राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हो गया।
रिपोर्ट- आलोक रंजन Alok Ranjan