दुमका (शहर परिक्रमा)

दुमका: हूल दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया भव्य कार्यक्रम

दुमका: हूल दिवस के अवसर पर रविवार को सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका में कुलपति प्रो बिमल प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हिंदी विद्यापीठ देवघर की कुलपति डॉ प्रमोदिनी हॉसदा शामिल हुईं।
कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय परिसर के स्मारक टीले पर स्थित वीर सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई। इसके बाद विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन-2 के कॉन्फ्रेंस हॉल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर मुख्य अतिथि का स्वागत संथाल परंपराओं के प्रतीक लोटा-पानी से किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगीत और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। उसके बाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिमल प्रसाद सिंह ने मुख्य अतिथि डॉ प्रमोदिनी हांसदा और मुख्य वक्ता बिजय टुडू को पुष्पगुच्छ और शॉल देकर स्वागत किया। विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ. जेनेन्द्र यादव ने अपने स्वागत भाषण में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों, विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों, उपस्थित शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का स्वागत करते हुए कहा कि हूल विद्रोह इस धरती के वीरों द्वारा जल, जंगल, जमीन और जन की रक्षा के लिए तत्कालीन सरकार के खिलाफ किया गया विद्रोह था। उन्होंने कहा कि हमें यह सोचने की जरूरत है कि क्या हम वाकई उन वीरों और वीरांगनाओं के सपनों का झारखंड बना पाए हैं। तत्पश्चात कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ बिजय टुडू ने हुल की प्रासंगिकता एवं हमारे जीवन पर इसके प्रभाव पर चर्चा करते हुए हुल विद्रोह के दौरान घटित ऐतिहासिक घटनाओं से सभी को परिचित कराया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संथाली विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ शर्मिला सोरेन ने संथाली लोकगीतों के माध्यम से हुल की प्रासंगिकता से सभी को परिचित कराते हुए कहा कि इतिहासकारों ने अन्य आंदोलनों की तरह संथाल हुल विद्रोह को इतिहास में स्थान नहीं दिया है, लेकिन संथाल समाज ने अपने लोकगीतों के माध्यम से यहां के लोगों के बीच हुल विद्रोह की प्रासंगिकता को बनाए रखा है। इस अवसर पर संथाल अकादमी की उपनिदेशक डॉ सुमित्रा हेम्ब्रम ने हुल के ऐतिहासिक तथ्यों पर चर्चा करते हुए संथाल हुल क्रांति के नायक एवं नायिकाओं की गौरव गाथा से सभी को परिचित कराया।
इस अवसर पर सामाजिक विज्ञान एवं वाणिज्य विभाग के डीन टीपी सिंह ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हुल विद्रोह के क्रांतिकारियों से प्रेरणा लेते हुए हम सभी को हुल के वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. प्रमोदिनी हांसदा ने कहा कि हूल विद्रोह से प्रेरणा लेकर सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए लड़ाई लड़ी गई थी, जिसका परिणाम है कि आज संथाल परगना की इस धरती पर यह विश्वविद्यालय बना है। तत्पश्चात विगत दिनों विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को एक बार फिर से प्रस्तुति दी गई, जिसमें रमा देवी बाजला महाविद्यालय देवघर की ज्योतिका रावत ने हूल दिवस पर भाषण दिया, पीजी राजनीति विज्ञान विभाग की छात्रा खुशी कुमारी ने एकल नृत्य प्रस्तुत किया, एसपी महिला महाविद्यालय की छात्रा अभिशिक्त दास ने एकल गान प्रस्तुत किया, पीजी भूगोल विभाग की छात्राओं ने समूह गान प्रस्तुत किया तथा अंत में स्नातकोत्तर संथाली विभाग की छात्राओं ने समूह नृत्य प्रस्तुत किया। विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मुख्य अतिथि एवं विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा पुरस्कृत किया गया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. विमल प्रसाद सिंह ने सर्वप्रथम हूल क्रांति के वीर शहीदों को नमन करते हुए उनके आदर्शों पर चलने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह क्रांति आदिवासियों द्वारा अपने जल, जमीन, जंगल और अपनी अस्मिता को बचाने के लिए किया गया विद्रोह था। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि आदर्शों, नैतिकता और मूल्यों को ध्यान में रखते हुए संथाल हूल विद्रोह के नायक-नायिकाओं के बताए रास्ते पर चलते हुए वर्तमान समस्याओं को दूर करने के लिए आवाज उठाने की जरूरत है, ताकि हूल का सही उद्देश्य यानी जल, जंगल और जमीन का संरक्षण हो सके। विश्वविद्यालय के सीसीडीसी डॉ. अब्दुस सत्तार ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. विमल प्रसाद सिंह को हूल दिवस कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए धन्यवाद दिया। उसके बाद उन्होंने मुख्य अतिथि, अतिथियों और कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को धन्यवाद दिया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
कार्यक्रम के सफल समापन पर मीडिया से बात करते हुए कुलपति प्रो विमल प्रसाद सिंह ने कहा कि तीन दिवसीय हूल कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए पूरा विश्वविद्यालय परिवार बधाई का पात्र है। इस कार्यक्रम का सफल आयोजन विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों के सहयोग से ही संभव हो पाया है। उन्होंने इस कार्यक्रम के संयोजकों और सभी समितियों के सदस्यों के कार्यों की सराहना की।
आज के कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी, सभी संकायों के डीन, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य/प्राचार्य, शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में मंच संचालन स्नातकोत्तर इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर अमिता कुमारी ने की।

रिपोर्ट- आलोक रंजन