दुमका (शहर परिक्रमा)

दुमका: पदयात्रा कार्यक्रम संपन्न

दुमका: गोटा भारोत सिदो कान्हू हूल बैसी दुमका, भारत सेवा आश्रम पाथरा दुमका शाखा एवं बांग्ला भाषा व संस्कृति रक्षा समिति झारखंड के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को भारत सेवा आश्रम संघ पाथरा, रानेश्वर से शाहिद स्थल संथाल काटा पोखर, दिगुली तक पदयात्रा का आयोजन किया गया। इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना है जिन्होंने अपने हक एवं अधिकार मांगने के लिए तत्कालीन गवर्नर जनरल कोलकाता के पास जा रहे थे।
इसी क्रम में आमजोला घाट के पास अंग्रेज सिपाहियो के द्वारा इन निहत्थे संतालों को रोका गया, लेकिन वे अपने हक की मांग के लिए आगे बढ़ने के कारण बेरहमी से गोली और अन्य अस्त्रों से मारे गए तथा इनकी लाशों को इस पोखर में फेंक दिया गया। यह घटना इतिहास के पन्नों पर न आने के कारण रहस्य ही रह गया। सरकारी दस्तावेजों से जानकारी हासिल कर बंगला भाषा व संस्कृति रक्षा समिति के सचिव एवं पत्रकार गौतम चटर्जी द्वारा अपने लेखों में उजागर करने के कारण घटनाओं की जानकारी सामने आई। उसके प्रयास से ही दुमका जिले के पूर्व उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला और झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक बसंत सोरेन वर्तमान में झारखंड सरकार के मंत्री के प्रयास से इस स्थान को घेराबंदी कर एक पहचान दिया गया। इसी ऐतिहासिक स्थल को आम जनता के समक्ष उजागर करने के लिए ही आज का ये पदयात्रा कार्यक्रम आयोजित था।


1855 के संताल हूल वास्तव में आज की ही तिथि में आरंभ होने के कारण 7 जुलाई को इन अमर शहिदों को नमन करने के लिए श्रद्धांजलि सभा आयोजन की गई, ताकि प्रतिवर्ष इन शहिदों को इस तिथि को ही श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके।
इस कार्यक्रम में बैसी के सचिव इमानुएल सोरेन, सनातन मुर्मू, सुलेमान मरांडी, सच्चिदानंद सोरेन, फा. सोलोमन, डा. इनोसेंट सोरेन, शिवधान सोरेन, स्वामी नित्यवर्तानंद महाराज, पत्रकार गौतम चटर्जी, सिदो कान्हू बिरसा विश्वविद्यालय पुरुलिया से बेल टुडू एवं उनके साथी, बंगला भाषा व संस्कृति रक्षा समिति के पदाधिकारिगन उपस्थित थे। इस पदयात्रा में भारी संख्या में पदयात्री शामिल हुए। इन पदयात्रियों का स्वागत तिलाबानी गांव के कलाकारों द्वारा पारम्परिक संस्कृतिक तरीके से किया गया।

रिपोर्ट- आलोक रंजन