दुमका (शहर परिक्रमा)

पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा करने में आदिवासियों का अहम योगदान रहा है: दुमका उपायुक्त

दुमका: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर शुक्रवार को शहर के कन्वेंशन सेंटर में भव्य जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपायुक्त आंजनेयुलू दोड्डे ने विधिवत् रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इससे पूर्व सभी अतिथियों को पौधा देकर एवं पगड़ी बांधकर सम्मानित किया गया।


इस अवसर पर उपायुक्त आंजनेयुलू दोड्डे ने कहा कि जंगलों, पहाड़ों, प्राकृतिक सम्पदाओं की रक्षा आदिवासी समुदाय के लोग प्राचीन काल से ही करते आ रहे है। पर्यावरण एवं प्रकृति की रक्षा करने में आदिवासियों का अहम योगदान रहा है। आजादी के आंदोलन में आदिवासियों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। चाहे धरती आबा, बिरसा मुण्डा की शहादत हो या वीर सिदो-कान्हू, फूलो-झानो या तिलका मांझी। आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर संकल्प लेना होगा कि हम आने वाले पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा शिक्षित बनाये ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रह सकें। आदिवासी समाज के लोगों के विकास के लिए सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाएं हैं जो समाज के अंतिम व्यक्ति तक जिला प्रशासन पहुंचने का कार्य कर रही है। माननीय मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार आदिवासियों के प्रति संवेदनशील होकर कार्य कर रही है। आने वाले दिनों में हमें इसका सुखद प्रभाव देखने को मिलेगा।
पुलिस अधीक्षक पीतांबर सिंह खेरवार ने कहा कि आज पूरे विश्व में विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। आदिवासी समाज का हमारी धरोहर को संरक्षित रखे में बड़ा योगदान रहा है। आदिवासी संस्कृति को संजोए रखने, स्वाभिमान को जागृत करने और जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए हमेशा एकत्रित होकर कार्य किया है। उन्होंने कहा कि समाज को नशापान से मुक्त कराने में भी अपनी सहभागिता देना सुनिश्चित करें। समाज के तमाम महिला-पुरूष एवं युवा वर्ग संकल्प लें कि अपनी सामाजिक व्यवस्था को विकास की दिशा में अग्रसर रखने के लिए बच्चों को उच्च शिक्षा अवश्य देगें।उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि समाज के विकास के लिए शिक्षा अत्यधिक आवश्यक है, और जो भी लक्ष्य है उसको पूरा करने का प्रयास करें। किसी प्रकार की समस्या हो तो जिला प्रशासन आपके साथ है।
इसी क्रम में अन्य अतिथियों ने भी विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर अपनी बात रखी। साथ ही योग्य लाभुकों के बीच वन पट्टा अधिकार योजना का लाभ भी प्रदान किया गया।
इस दौरान संथाली सांस्कृतिक कार्यक्रम, पहाड़िया सांस्कृतिक नृत्य, पहाड़िया समुदाय के प्रतिनिधि द्वारा अपने समाज के बारे में परिचय जैसे कार्यक्रम आयोजित की गए।

रिपोर्ट- आलोक रंजन