हिन्दी दिवस प्रतियोगिता में एकता, अदिति व पलक अव्वल
देवघर: हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, जो हिंदी भाषा की महत्ता और उसके योगदान को स्वीकार करने का दिन है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और उसकी सांस्कृतिक महत्वता को बढ़ावा देना है। हिंदी, जो भारतीय संविधान की एक प्रमुख भाषा है, भारत की संस्कृति और विविधता का अभिन्न हिस्सा है। मौके पर स्थानीय विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान एवं योगमाया मानवोत्थान ट्रस्ट के युग्म बैनर तले आयोजित रंगभरो एवं निबंध प्रतियोगिताओं में सेंकड़ों प्रतिभागियों ने अपनी अपनी भागीदारी निभाई। देवघर जिला से ग्रुप बी (वर्ग तृतीय से षष्ठ तक) रंगभरो प्रतियोगिता में देवघर संत फ्रांसिस स्कूल की एकता भारद्वाज एवं सुप्रभा शिक्षा स्थली की अदिति आर्या को युग्म रूप से प्रथम, मधुपुर की सानिया खातून एवं मकसूद अंसारी को क्रमशः द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। इसी ग्रुप में ‘हिन्दी दिवस’ शीर्षक निबंध प्रतियोगिता में सांदीपनी पब्लिक स्कूल की पलक झा को प्रथम, पालोजोरी के ऋषभ राज एवं आनंद राज को क्रमशः द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। सभी विजेताओं को आगामी 2 अक्टूबर दीनबंधु उच्च विद्यालय स्थित रवींद्र सभागार में वेक्सो इंडिया के संरक्षक प्रो. रामनंदन सिंह, केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव, दीनबंधु के प्रधानाध्यापक काजल कांति सिकदार एवं अन्य अतिथियों के करकमलों से पुरस्कृत किया जाएगा।
मौके पर डॉ. देव ने कहा- हिंदी भाषा भारतीय समाज की संस्कारिक धरोहर है। यह भाषा न केवल साहित्यिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। हिंदी ने हमें न केवल महान कवि और लेखक दिए हैं, बल्कि यह भाषा हमारी धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं को भी संजोए हुए है। हिंदी दिवस पर, हम इस भाषा की सभी उपलब्धियों और योगदान को मान्यता देते हैं और इसके महत्व को पुनः साबित करते हैं। हिंदी साहित्य में कई महान कवि और लेखक हुए हैं, जिन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से हिंदी भाषा को समृद्ध किया है। कबीर, तुलसीदास, और रहीम जैसे महान संत कवियों के दोहे और गीत हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। इन रचनाओं ने न केवल भक्ति और दर्शन को बढ़ावा दिया, बल्कि समाज के मूल्य और आदर्शों को भी स्थापित किया। आज के डिजिटल युग में हिंदी भाषा का प्रस्ताव और उपयोग बढ़ रहा है। इंटरनेट और सोशल मीडिया पर हिंदी का प्रचार तेजी से बढ़ा है, जो इसे और भी अधिक प्रासंगिक बनाता है। हिंदी दिवस पर, यह आवश्यक है कि हम इस भाषा के आधुनिक उपयोग और उसकी तकनीकी प्रगति को समझें और सराहें।