सम्पूर्ण मानव का लक्ष्य समाधान, समृध्दि, अभय और सह-अस्तित्व है मध्यस्थ दर्शन
देवघर (16 सितम्बर 24): सेवाधाम, देवघर में दिव्यपथ संस्थान के तत्वावधान में चल रहे सप्त दिवसीय जीवन विद्या शिविर का चौथा दिन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। शिविर के प्रबोधक श्रीराम नरसिम्हन ने बताया कि सम्पूर्ण मानव के लक्ष्य को उसके स्वाभाविक मूल चाहना के आधार पर पहचानने का प्रयास करें तो हमें सहज ही स्पष्ट होता है कि सम्पूर्ण मानव का लक्ष्य, उसका स्वयं में बौध्दिक समाधान, परिवार में समझ पूर्वक समृद्धि, समाज में अभय एवं प्रकृति के साथ उसका सह-अस्तित्व ही है। इस प्रकार जब लक्ष्य की पहचान होती है तो मानव के शुभ प्रयासों के कार्यक्रम भी निश्चित हो जाते हैं और वह है उसका अस्तित्व के अध्ययन से पूर्ण होना, स्वयं के अध्ययन से पूर्ण होना और मानव के आचरण के अध्ययन से पूर्ण होना। ऐसा होने से जो हर मानव की मूल चाहना है कि वह समग्र सुख (भौतिक, व्यावहारिक, बौध्दिक एवं आध्यात्मिक) के साथ जीये, वह स्वाभाविक ही परिवार, समाज और प्रकृति में व्यवस्था के रूप में फलित होता है। श्रीराम नरसिम्हन भैया ने स्वयं में निहित क्रियाओं का भी अध्ययन कराया कि हर मानव में मूल्यांकन करने की स्वयं स्फूर्त क्रिया होती है वह दो विधियों से सम्पन्न होती है, एक प्रिय-हित-लाभ एवं दूसरी न्याय-धर्म-सत्य। न्याय, धर्म और सत्य विधि से होनेवाले तुलन प्रक्रिया में ही मानव के विचार अस्तित्व की समझ की ओर प्रेरित होती हैं जिनसे उनमें बौद्धिक समाधान वास्तविकताओं के साक्षात्कार, बोध एवं अनुभव पूर्वक पूर्ण होता है।
आज का दिन भी मानव के अध्ययन के क्रम में बहुत ही सार्थक दिन रहा जिसे उपस्थित लोगों ने स्वीकारा कि इस प्रकार मानव के अध्ययन की हर मानव के लिये अनिवार्य आवश्यकता है।