देवघर: आज दशलक्षण महापर्व का नौवां दिन
आज दशलक्षण महापर्व का नौवां दिन उत्तम आकिंचन धर्म का दिन है आज का प्रथम अभिषेक अशोक जैन रवि जैन ने व शांतिधारा जुगल किशोर जैन, अमृत जैन, आदर्श जैन की तत्पश्चात आरती,सामूहिक पूजन, दशलक्षण धर्म पूजन, उत्तम आकिंचन पूजन, पद्मप्रभु पूजन, भगवान पार्श्वनाथ पूजन, शाम में आरती, पंडित ज्ञानचंद्र जैन ने शास्त्र वाचन में उत्तम आकिंचन धर्म के बारे में बताया कि परीग्रह के पूर्णत: त्याग होने पर ही उत्तम आकिंचन धर्म प्रगट होता है।
जन्म से लेकर मृत्यु तक जो कुछ भी है परिग्रह है अपना कुछ भी नहीं यहां तक कि मेरा तन मेरा नहीं है ।
आप अकेला अवतरे, मरे अकेला होय ।
यूं कबहूं ना इस जीव को, साथी सगा ना कोय।।
अर्थात से इस संसार में मेरा जन्म अकेले हुआ था और मरूंगा, तो भी तो अकेले जाऊंगा मेरा कभी कोई सगा नहीं रहा ।
इसलिए परीग्रह को जितना जोड़ोगे की उतना दु:ख मिलेगा और जितना छोड़ोगे उतना सुख मिलेगा । अतः आकांक्षाओं को सीमित करो त्यागो, दान करो, पुण्य करो तभी आत्मा का कल्याण होगा। यही आज का उत्तम आकिंचन धर्म का सार है ।
कार्यक्रम में स्थानीय जैन मंदिर के अध्यक्ष राजेश जैन, मंत्री-सुरेश जैन पाटनी, कोषाध्यक्ष- जुगल किशोर पाटनी के साथ सभी सदस्यों की उपस्थिति रही।
संवाददाता: अजय संतोषी