देवघर (शहर परिक्रमा)

बेटी बचाआ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत मैट्रीक व इंटर में बेहतर प्रदर्शन करने वाली बच्चियों को किया गया पुरस्कृत

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत पीसी-पीएनडीटी एक्ट की दी गयी जानकारी

आज दिनांक 15.10.2024 को विकास भवन के सभागार में उप विकास आयुक्त नवीन कुमार की अध्यक्षता में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के तहत पीसी-पीएनडीटी एक्ट 1994 जिला स्तरीय कार्यशाला सह अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस समापन समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया।

कार्यशाला के दौरान उप विकास आयुक्त ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से पूरे जीवन-काल में शिशु लिंग अनुपात में कमी को रोकने में मदद मिलती है और महिलाओं के सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान होता है। यह योजना तीन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है अर्थात महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय।
इस योजना के मुख्य घटकों में शामिल हैं प्रथम चरण में पीसीपीएनडीटी एक्ट को लागू करना, राष्ट्रव्यापी जागरूकता और प्रचार अभियान चलाना तथा विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित कार्य करना। बुनियादी स्तर पर लोगों को प्रशिक्षण देकर, संवेदनशील और जागरूक बनाकर तथा सामुदायिक एकजुटता के माध्यम से उनकी सोच को बदलने पर जोर दिया जा रहा है।

क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट?
गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भुण्र हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक श्पीएनडीटीश् एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ रंजन सिन्हा ने जानकारी दी कि भूूण्र हत्या, जन्म पूर्व लिंग परीक्षण और अन्य किसी भी माध्यम से बेटियों की हत्या को अपराध के तहत दोषी पाये जाने वाले व्यक्तियों व संस्थाओं को कानूनी सजा तथा लाइसेंस रद्द करने और जेल भेजने का प्रावधान है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि बेटियां की सुरक्षा, संरक्षण, शिक्षा स्वास्थ्य और बेहतरी के लिए हमें सामाजिक रुप से हम सभी लोगों को आगे आना होगा। लिंगानुपात की सुधार और बेटियों को उसका पूरा अधिकार देना हम सबों की सामूहिक जिम्मेवारी है। इसके अलावे कार्यक्रम के दौरान मैट्रीक व इंटर में बेहतर प्रदर्शन करने वाली बच्चियों को 5000 रूपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान किया गया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में सविल सर्जन डॉ. रंजन सिन्हा, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, सहायक जनसम्पर्क पदाधिकारी, सीडीपीओ के साथ-साथ संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मी आदि उपस्थित थे।