18 अक्टूबर: इब्राहिम अल्काज़ी जयंती
इब्राहिम अल्काज़ी भारतीय रंगमंच के प्रसिद्ध निदेशक और नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के पूर्व निदेशक थे। उनका जन्म 18 अक्टूबर, 1925 को पुणे में हुआ था। इब्राहिम अल्काज़ी ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के साथ कई नाटकों का निर्देशन किया। उन्होंने अपने जीवन काल में कलाकारों की कई पीढ़ियों को अभिनय की बारीकियां सिखाईं। इन कलाकारों में नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी जैसे कई बड़े और दिग्गज कलाकारों के नाम शामिल हैं। उनके द्वारा निर्देशित कुछ प्रमुख नाटकों में तुगलक, आषाढ़ का एक दिन, अंधा युग के अलावा कई ग्रीक ट्रेजडी और शेक्सपियर की कृतियां शामिल हैं। वे पद्म विभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री से सम्मानित थे।
जब वह पुणे के सेंट विसेंट हाईस्कूल में पढ़ रहे थे तभी उनमें रंगमंच के प्रति रुचि पैदा हुई। वह मुम्बई के सेंट जेवियर कॉलेज में सुल्तान ‘बॉबी’ पदमसी की अंग्रेजी थियेटर कंपनी से जुड़ गये। अपने बेटे में रंगमंच के प्रति रूचि देख उनके पिता ने उन्हें लंदन जाने की सलाह दी। उन्होंने 1947 में रॉयल एकेडेमी ऑफ ड्रमेटिक आर्ट में प्रशिक्षण लिया और नाम एवं कीर्ति पायी। वह भारत लौटने के बाद थियेटर ग्रुप से फिर जुड़ गये। हालांकि उनकी प्रांरभिक रुझान चित्रकारी में थी। बाद में वह रंगमंच को यथासंभव ऊंचाइयों तक ले गये। वे अपने जीवन में ही जीवंत किंवदंती बन गए थे। पर उन्होंने खुद को काम तक सीमित रखा। निरंतर सक्रियता और सकारात्मक ऊर्जा उनकी कार्यशैली का हिस्सा थी। सन 1977 में नाट्य विद्यालय छोड़ने के बाद लम्बे समय तक वापस मुड़कर नहीं देखा। इस दौरान पेंटिंग और कला संरक्षण के काम में ऐतिहासिक काम पर जुट गए। सफदर हाशमी का नुक्कड़ नाटक करते हुए हत्या के बाद हुई विरोध सभाओं में उन्होंने सक्रिय भाग लिया। उसके बाद में एनएसडी रंगमंडल के साथ तीन नाटक करने के लिए वह थियेटर की दुनिया में वापस आए। उन्हें एक सख्त अनुशासक के रूप में जाना जाता था, जिन्होंने एनएसडी के निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान थिएटर प्रशिक्षण के लिए एक ब्लू प्रिंट प्रदान किया था। इसके अलावा वह एक विलक्षण कला पारखी और गैलरी के मालिक भी थे। उन्होंने नई दिल्ली में आर्ट हेरिटेज गैलरी की स्थापना की थी। उन्होंने अपने शानदार करियर के दौरान 50 से अधिक नाटकों का मंचन किया और 1950 में बीबीसी ब्रॉडकास्टिंग अवार्ड जीता। उन्हें रंगमंच के प्रति जीवनपर्यंत योगदान को लेकर ‘संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप’ से सम्मानित किया गया। उनका निधन 4 अगस्त, 2020 को हुआ।