रन फॉर यूनिटी में डीएवी के बच्चों ने दिखाई राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता
कोडरमा: डीएवी पब्लिक स्कूल झुमरी तिलैया में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 149 वीं जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर रन फॉर यूनिटी में विद्यालय के प्राचार्य, शिक्षकों एवं बच्चों ने भाग लेकर राष्ट्रीय एकता दिवस को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के रूप में मना कर देश के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई। बच्चों ने विद्यालय से निकटवर्ती ग्राम चमगुदो खुर्द तक दौड़ लगाकर राष्ट्र के प्रति एकता का संदेश दिया। 31 अक्टूबर को प्रति वर्ष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर बच्चों को विद्यालय की प्रातः कालीन प्रार्थना सभा में देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस की शपथ दिलाई गई। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर बच्चों ने विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
मौके पर विद्यालय के प्राचार्य कृष्ण कुमार सिंह ने राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर सभी बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यह दिवस लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को यादगार के रूप में मनाने के लिए एवं राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए मनाया जाता है। हमें अपने देश की एकता और अखंडता को कायम रखने के लिए एकजुट होकर इस मुहिम को आगे बढ़ना चाहिए। सभी युवाओं को आपसी प्रेम, सद्भावना एवं भाईचारे के साथ राष्ट्र सेवा के लिए सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए।
प्राचार्य ने आगे कहा कि राष्ट्रीय एकता दिवस हमें राष्ट्र की एकता के लिए प्रतिबद्ध होने और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण की दिशा में काम करने का अवसर प्रदान करता है। देश की स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका सराहनीय रही। हमें उनके योगदानों को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। यह दिवस विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय एकता व अखंडता को बनाए रखने तथा एक भारत श्रेष्ठ भारत के महत्व को दर्शाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के विभिन्न समुदायों की एकता में विश्वास करते थे। उन्होंने आजादी के बाद उन रियासतों को अपनी कूटनीतिक कौशल से भारत में विलय करने का महत्वपूर्ण कार्य किया जो पूर्ण रूप से स्वतंत्र रहना चाहती थी। हमें इस दिन को हमेशा यादगार के रूप में मनाना चाहिए। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक कुमार सतीश सिंह, दिनेश कुमार दूबे, राय राकेश, जयदेव आचार्या ,बलराम मिश्रा, प्रमोद बल्लारी खड़ंगा, श्वेता सिंह, मनोज कुमार सिंह, शारीरिक शिक्षक उज्जवल घोष एवं अनिल कुमार का योगदान रहा।