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8 दिसम्बर: प्रसिद्ध नर्तक, नृत्य निर्देशक और बैले निर्माता उदय शंकर जयंती

उदय शंकर भारत के प्रसिद्ध नर्तक, नृत्य निर्देशक और बैले निर्माता थे। उन्हें भारत में ‘आधुनिक नृत्य के जन्मदाता’ के रूप में भी जाना जाता है। उनका जन्म आज ही के दिन 8 दिसम्बर, 1900 ई., राजस्थान को हुआ था।

उदय शंकर ने यूरोप और अमेरिका का भारतीय नृत्य और संस्कृति से परिचय करवाया और भारतीय नृत्य को दुनिया के मानचित्र पर प्रभावशाली ढंग से स्थापित किया। उन्होंने ताण्डव नृत्य, शिव-पार्वती, लंका दहन, रिदम ऑफ़ लाइफ़, श्रम और यंत्र, रामलीला और भगवान बुद्ध नाम से नवीन नृत्यों की रचना की थी। इनमें वेशभूषा, संगीत, संगीत-यंत्र, ताल और लय आदि चीजें उन्हीं के द्वारा आविष्कृत थीं। वर्ष 1971 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मविभूषण’ और 1975 में विश्वभारती ने ‘देशीकोत्तम सम्मान’ प्रदान किये थे।

उनके पिता संस्कृत के माने हुए विद्वान् थे। उनका विवाह अमला शंकर से हुआ और वर्ष 1942 में उनके यहाँ पुत्र आनंद शंकर और वर्ष 1955 में पुत्री ममता शंकर का जन्म हुआ। वर्ष 1918 ई. में मात्र अठारह वर्ष की आयु में उदय शंकर को ‘जे. जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट’ और उसके बाद ‘गंधर्व महाविद्यालय’ में प्रशिक्षण के लिए मुंबई भेज दिया गया। तब तक उनके पिता श्याम शंकर ने भी झालावाड़ में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और लंदन चले गए। वहाँ उन्होंने एक श्वेत महिला से विवाह कर लिया और एक शौकिया संयोजक बनने से पहले क़नून की प्रैक्टिस करने लगे।

इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन में भारतीय संगीत और नृत्य की शुरुआत की। बाद में उदय शंकर अपने पिता के साथ शामिल हो गए और 23 अगस्त, 1920 को सर विलियम रोथेंस्टीन के अधीन चित्रकारी का अध्ययन करने के लिए लंदन के ‘रॉयल कॉलेज ऑफ़ आर्ट’ प्रवेश लिया। यहीं पर उन्होंने अपने पिता द्वारा लंदन में आयोजित करवाए गए कुछ चैरिटी कार्यक्रमों में नृत्य का प्रदर्शन किया। ऐसे ही एक अवसर पर प्रख्यात रूसी बैले नर्तकी अन्ना पावलोवा भी मौजूद थीं।

उन्होंने ‘भारतीय शास्त्रीय नृत्य’ के किसी भी स्वरूप में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया था। उनकी प्रस्तुतियाँ रचनात्मक थीं। उन्होंने ताण्डव नृत्य, शिव-पार्वती, लंकादहन, रिदम ऑफ़ लाइफ़, श्रम और यंत्र, रामलीला और भगवान बुद्ध नाम से नवीन नृत्यों की रचना की। इनमें वेशभूषा, संगीत, संगीत-यंत्र, ताल और लय आदि चीजें उन्हीं के द्वारा आविष्कृत थीं। रामायण पर उन्होंने नृत्य नाटिका की भी रचना की। उन्होंने यूरोप, अमेरिका आदि देशों में अपने नर्तक दल के साथ वर्षों घूमकर भारतीय नृत्यों का प्रदर्शन किया।

pradip singh Deo
लेखक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव