राष्ट्रीय

29 दिसंबर: राजेश खन्ना जयंती

राजेश खन्ना भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता थे। राजेश खन्ना का वास्तविक नाम जतिन खन्ना था। अपने रूमानी अंदाज, स्वाभाविक अभिनय और कामयाब फ़िल्मों के लंबे सिलसिले के बल पर क़रीब डेढ़ दशक तक सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले राजेश खन्ना के रूप में हिन्दी सिनेमा को पहला ऐसा सुपरस्टार मिला, जिसका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था। राजेश खन्ना फ़िल्म निर्माता और राजनीतिज्ञ भी रहे।

राजेश खन्ना

राजेश खन्ना ने लगभग 163 फ़िल्मों में अभिनय किया, जिसमें 106 फ़िल्मों वे मुख्य नायक रहे। राजेश खन्ना को तीन बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला और 14 बार नामांकित हुए। उनका जन्म 29 दिसंबर, 1942 को अमृतसर, पंजाब में जन्मे जतिन खन्ना बाद में फ़िल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए। राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफ़ी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाड़िया से विवाह किया और वे दो पुत्रियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने। उनकी दोनों पुत्री अभिनेत्री हैं। हालांकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए। राजेश फ़िल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने करियर को तरजीह देना शुरू किया। राजेश खन्ना की बड़ी पुत्री ट्विंकल खन्ना ने अभिनेता अक्षय कुमार से विवाह किया। उनका अभिनय करियर शुरूआती नाकामियों के बाद इतनी तेज़ीसे परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती हैं। परिवार की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ अभिनय को बतौर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 बरस की उम्र में आखिरी खत फ़िल्म से सिनेमा जगत् में कदम रखा था। बाद में राज, बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फ़िल्में आई। मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी। वर्ष 1969 में आई फ़िल्म ‘आराधना’ ने उनके करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए। फ़िल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वह हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशसंकों के दिलोदिमाग पर छा गए। ‘आराधना’ ने उनकी क़िस्मत के दरवाज़े खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फ़िल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर क़ायम किया। वर्ष 1970 में बनी फ़िल्म ‘सच्चा झूठा’ के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर अवार्ड दिया गया। वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय कॅरियर का सबसे यादगार साल रहा। उस वर्ष उन्होंने ‘कटी पतंग’, ‘आनन्द’, ‘आन मिलो सजना’, ‘महबूब की मेंहदी’, ‘हाथी मेरे साथी’ और ‘अंदाज’ जैसी सुपरहिट फ़िल्में दीं। ‘दो रास्ते’, ‘दुश्मन’, ‘बावर्ची’, ‘मेरे जीवन साथी’, ‘जोरू का ग़ुलाम’, ‘अनुराग’, ‘दाग’, ‘नमक हराम’ और ‘हमशक्ल’ के रूप में हिट फ़िल्मों के जरिए उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्षों तक गुलज़ार रखा। भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है।

pradip singh Deo
लेखक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव