कुपोषण से ग्रसित लोगों में विटामिन, मिनरल्स और दूसरे पदार्थो की कमी होती है: डॉ. सुनील कुमार सिंह
दुमका: जिले के जरमुंडी प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुनील कुमार सिंह ने एक विशेष भेंट में कहा कि कुपोषण से ग्रसित लोगों में विटामिन, मिनरल्स और दूसरे पदार्थो की कमी होती है जो शरीर के सही तरह से काम करने के लिए बेहद जरूरी है। कुपोषण स्वास्थ्य की वह स्थिति है जो पोषक तत्वों की कमी के कारण होती है। स्वस्थ रहने के लिए भोजन हमें ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है। जब आवश्यक मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते, तो शरीर का ठीक तरह से विकास नहीं हो पाता है। गलत खानपान की आदत तथा खाने में जरूरी पोषक तत्वों के न होने के कारण भी यह समस्या होती है। दुनिया भर में लोग इस परेशानी से जूझ रहे हैं। कई जगहों पर वहां के पर्यावरण और जीवन शैली के कारण इसके होने की संभावना अधिक होती है।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.सुनील ने आगे बताया कि कुपोषण (Malnutrition) का तात्पर्य है पोषक तत्वों के सेवन में कमी या अधिकता; आवश्यक पोषक तत्वों का असंतुलन या पोषक तत्वों का अक्षम उपयोग, कुपोषण के दोहरे बोझ में अल्प पोषण(Under nutrition) और अधिक वजन(Over weight) व मोटापा(Obesity) दोनों शामिल हैं; इसके साथ ही, इसमें आहार संबंधी गैर- संचारी रोग(Non-communicable Disease) भी शामिल है। अल्प पोषण 4 व्यापक रूपों में प्रकट होता है- वेस्टिंग(Wasting), स्टंटिंग(Stunting), अल्प भजन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी। वेस्टिंग(Wasting)- इसे कद के अनुरूप कम वजन(low weight-for-height)के रूप में परिभाषित किया गया है। स्टंटिंग (stunting)- इसे आयु के अनुरूप निम्न कद या लंबाई(low height-for- age)के रूप में में परिभाषित किया गया है। अल्प वजन(Under weight)- इसे आयु के अनुरूप कम वजन(low weight-for-age) के रूप में परिभाषित किया गया है।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुनील ने आगे बताया कि एनीमिया(Anemia),जिसे हीमोग्लोबिन की कमी भी कहा जाता है; 5 वर्ष से कम आयु के 67% बच्चों को प्रभावित करता है। एनीमिया(Anemia) महिलाओं में व्यापक रूप से पाया जाता है। बहुत से लोग पोषण के महत्व या इसे सुनिश्चित करने के सर्वोत्तम तरीकों के बारे में जागरूक नहीं है।
संवाददाता: आलोक रंजन