शिक्षा जगत् में गोराई दादा की ख्याति उनके छात्रों से मिलने वाले सम्मान और प्यार से स्पष्ट होती है: कुलपति
दुमका: सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के स्नातकोत्तर गणित विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देव नारायण गोराई 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो गए। उनकी सेवानिवृत्ति पर विवि के स्नातकोत्तर विभाग के शिक्षकों ने गुरुवार को उनके सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिमल प्रसाद सिंह, डीएसडब्लू डॉ जैनेंद्र यादव, कुलसचिव डॉ राजीव कुमार, वित्त पदाधिकारी डॉ बिजय कुमार, विभिन्न संकायों के डीन, विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों के विभागाध्यक्ष और शिक्षक व छात्र आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम में उपस्थित उनके साथ काम कर चुके प्राध्यापकों ने डॉ. डी.एन. गोराई की तारीफ करते हुए कहा कि वे काफी बेहतरीन प्रशासक और शिक्षक थे। सबों ने एक स्वर में कहा कि विश्वविद्यालय के उत्तरोत्तर विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. बिमल प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षा जगत् में गोराई दादा की ख्याति उनके छात्रों से मिलने वाले सम्मान और प्यार से स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा कि डॉ. गोराई ने अपने शोध और अध्यापन के माध्यम से शैक्षणिक जगत में काफी ख्याति प्राप्त की है और विश्वविद्यालय उनके कार्यों को हमेशा याद रखेगा। उन्होंने कहा कि यूट्यूब पर बनाए गए उनके डिजिटल कंटेंट से बच्चों को हमेशा लाभ मिलेगा। कुलपति ने कहा कि मेरे कार्यकाल में वे वित्त अधिकारी थे। उस दौरान प्रशासन के रूप में उनका योगदान काफी महत्वपूर्ण रहा। वे काफी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति हैं। कुलपति ने डॉ. डी.एन. गोराई से स्नातकोत्तर गणित विभाग के विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते रहने का अनुरोध किया और कहा कि विश्वविद्यालय ने आपके सभी बकाया का भुगतान कर दिया है। कार्यक्रम में डॉ. डी.एन. गोराई को शॉल, रामायण, डायरी, कलम आदि उपहार स्वरूप दिया गया। मालूम हो कि जब डॉ. डी.एन. गोराई विश्वविद्यालय के ओएसडी वित्त थे, तभी से शिक्षकों को हर माह की पहली तारीख को वेतन मिलना शुरू हुआ था। उस समय उन्होंने विभिन्न कॉलेजों के खातों का ऑडिट भी कराया था और वित्त के अनेकों मामलों को आसान बनाया था।
इस अवसर पर डॉ. डी.एन. गोराई ने कहा कि शिक्षक के रूप में सेवानिवृत्त होना मेरे लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि शिक्षक बनकर समाज को बदलना मेरा जुनून था। करियर के शुरुआती दौर में मुझे स्कूल शिक्षक के साथ बैंक और एलईसी में कुल मिलाकर तीन नौकरियां एक साथ मिलीं, लेकिन उन्होंने बताया कि मैंने स्कूल शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया और विश्वविद्यालय शिक्षक के रूप में सेवानिवृत्त होना मेरे लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि खट्टी-मीठी यादों के बीच पूरा करियर रोमांचक रहा। उन्होंने अपने साथ काम करने वाले सहकर्मियों के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि मैं अपने जीवनकाल में कभी पैसे के पीछे नहीं भागा और कभी भी क्लास से समझौता नहीं किया।
ज्ञात हो कि डॉ. गोराई 1996 बैच के प्रोफेसर थे, जिन्होंने शिक्षक के रूप में विश्वविद्यालय में लगभग 29 वर्षों तक योगदान दिया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने वित्त पदाधिकारी, डीन, केंद्रीय पुस्तकालय के निदेशक, विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष, ओएसडी लेखा आदि महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। डॉ. गोराई ने करीब 30 पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया और सफलता पूर्वक अपने निर्देशन में पीएचडी कराया। इसके अलावा वे विश्वविद्यालय के एकमात्र ऐसे शिक्षक हैं जिनके मार्गदर्शन में किसी शोध छात्र ने अपनी डीएससी पूरी की। अपने 29 वर्षों के शैक्षणिक जीवन में उन्होंने सैकड़ों शोध पत्र विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित किए तथा सैकड़ों अवसरों पर अपना भाषण दिया। डॉ. गोराई ने गणित के विभिन्न विषयों पर यूट्यूब चैनल के माध्यम से करीब 900 वीडियो बनाए हैं, जिनका लाभ देशभर के विद्यार्थी उठा रहे हैं।
संवाददाता: आलोक रंजन