28 मार्च: चित्रकार एफ़.एन. सूजा की पुण्यतिथि
फ़्राँसिस न्यूटन सूजा जिन्हें एफ़. एन. सूजा भी कहा जाता है, एक जाने-माने भारतीय चित्रकार थे। आज ही के दिन 28 मार्च, 2002 को उनकी मृत्यु हुई थी। एम.एफ. हुसैन, एस. एच. रज़ा और के. एच. आरा आदि के साथ-साथ एफ़. एन. सूजा भी ‘प्रोग्रेसिव आर्ट्स ग्रुप ऑफ़ बॉम्बे’ के संस्थापक सदस्य थे। स्वतंत्रता के बाद वाली पीढ़ी के वे पहले ऐसे भारतीय चित्रकार थे जिन्हें पश्चिम में बहुत पहचान मिली। उन्हें उनके आविष्कारी मानव आकृतियों के लिए भी जाना जाता है। उनका जन्म गोवा के सालिगाव में 12 अप्रैल, 1924 को एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। जब वे मात्र तीन महीने के थे, तब उनके पिता की मृत्यु हो गयी। उनकी माता ने उनका नाम गोवा के पैट्रन सेंट, ‘सेंट फ्रांसिस जेविएर’ के नाम पर रखा। उनकी माता कपड़ा सिलाई का काम करती थीं, जिसकी झलक सूजा के एक प्रसिद्ध कृत में भी देखने को मिलती है। उन्होंने मुंबई के सेंट जेविएर्स कॉलेज में पढ़ाई के लिए दाखिला लिया, पर एक दिन शौचालय में टॉयलेट पर भित्ति चित्रण करने की वजह से निकाल दिया गया। सन 1948 में एफ़. एन. सूजा के चित्रों की पहली प्रदर्शनी लंदन के ‘बर्लिंगटन हाउस’ में लगी। सन 1949 में सूजा भारत छोड़कर इंग्लैंड चले गए जहाँ प्रारंभ में उन्हें एक चित्रकार के रूप में अपने आप को स्थापित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। इसलिए उन्होंने पत्रकार के तौर पर भी कार्य किया। सन 1954 में लन्दन के ‘द इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंटेम्पररी आर्ट्स’ ने अपनी एक प्रदर्शनी में सूजा के भी चित्रों को प्रदर्शित किया। सन 1955 में उनका एक आत्मकथात्मक लेख ‘निर्वाना ऑफ़ अ मैगोट’ स्टेफेन स्पेंडर के ‘एनकाउंटर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ। इसके बाद उनके कॅरियर में सफलता का दौर प्रारंभ हुआ। स्पेंडर ने सूजा को ‘गैलरी वन’ के मालिक और आर्ट डीलर विक्टर मस्ग्रेव से मिलवाया; जिसके बाद सन 1955 में एफ़. एन. सूजा की एक प्रदर्शनी पूर्ण रूप से बिक गयी। सन 1959 में उन्होंने ने ‘वर्ड्स एंड लाइन्स’ प्रकाशित की। इसके बाद उनका कॅरियर धीरे-धीरे ऊपर उठता गया और उन्होंने कई प्रदर्शनियों में अपने कृतियों को प्रदर्शित किया। जॉन बर्गर जैसे कला समीक्षकों ने उनकी कला की बहुत तारीफ की। सन 1967 में सूजा न्यूयॉर्क चले गए और वहीं रहने लगे। 1977 में उन्होंने ‘कामनवेल्थ आर्टिस्ट्स ऑफ़ फेम’ प्रदर्शनी में भाग लिया और अपने कृतियों की एकल प्रदर्शनी पेरिस और डेट्रॉइट जैसे शहरों में लगाई। उनके चित्रों की प्रदर्शनी दिल्ली, मुंबई और करांची में भी लगाई गयी। पिछले कुछ सालों में उनकी कई पेंटिंग्स लाखों अमेरिकी डॉलर में बिकीं। सन 2005 में उनकी एक पेंटिंग ‘बर्थ’ क्रिस्टी के नीलामी में लगभग 11.3 करोड़ रुपये में बिकी। इसे भारतीय उद्योगपति अनिल अंबानी की पत्नी टीना अम्बानी ने अपने ‘हारमनी आर्ट्स फाउंडेशन’ के लिए खरीदा था। सितम्बर 2015 में उनकी यही पेंटिंग लगभग 27 करोड़ रुपये में बेची गयी। इसे दिल्ली की किरण नादर ने खरीदा। इसके साथ ही एफ़. एन. सूजा भारत के सबसे महंगे आर्टिस्ट बन गए।
