रंगभरो में सुप्रतीत जबकि निबंध लेखन में अंजलि ओझा में अव्वल
देवघर: विश्व रेड क्रॉस दिवस और रेड क्रिसेंट दिवस अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट आंदोलन के सिद्धांतों का एक वार्षिक उत्सव है। विश्व रेड क्रॉस दिवस को रेड क्रिसेंट दिवस के रूप में भी जाना जाता है। विश्व रेड क्रॉस दिवस और रेड क्रिसेंट दिवस हर साल 8 मई को मनाया जाता है। मौके पर स्थानीय विवेकानंद शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान के बैनर तले जिला स्तरीय रंगभरो एवं निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय विद्यालयों के विद्यार्थियों की भागीदारी रही। प्राप्त जानकारी के अनुसार सनराइज द्वारिका ऐकाडेमी के सुप्रतीत चटर्जी को प्रथम, सुप्रभा शिक्षा स्थली की श्रेया केशरी को द्वितीय, गीता देवी डीएवी पब्लिक स्कूल के उत्सव कुमार को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। रक्तदान-महादान है, शीर्षक निबंध लेखन प्रतियोगिता में राम मंदिर बीपीजे हाई स्कूल की अंजलि कुमार ओझा को प्रथम, दीनबंधु उच्च विद्यालय की शिवानी झा को द्वितीय जबकि संदीपनी पब्लिक स्कूल की पलक झा को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ है। सभी विजेताओं को 11 मई, दीनबंधु उच्च विद्यालय स्थित रवीन्द्र सभागार में वेक्सो इंडिया के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार सिंह देव, संरक्षक प्रो. रामनंदन सिंह, गणेश प्रसाद उमर, दीनबंधु स्कूल के प्रधानाध्यापक काजल कांति सिकदार एवं अन्य अतिथियों के करकमलों से पुरस्कृत किया गया।
रेड क्रॉस दिवस के संदर्भ में डॉ. देव ने कहा- हेनरी डुनेंट का जन्म 8 मई 1828 को जिनेवा, स्विटज़रलैंड में हुआ था और 30 अक्टूबर 1910 को हेडेन, स्विटज़रलैंड में उनकी मृत्यु हो गई थी। वे इंटरनेशनल कमेटी ऑफ़ द रेड क्रॉस के संस्थापक और 1901 में पहले नोबेल शांति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता थे। प्रथम विश्व युद्ध के ठीक बाद “एक वार्षिक कार्रवाई का विचार जो पूरी दुनिया में फैल सकता है … जो शांति के लिए एक बड़ा योगदान होगा” पेश किया गया था। रेड क्रॉस ट्रूस के नाम से जानी जाने वाली इस पहल का अध्ययन रेड क्रॉस के 14वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय आयोग द्वारा किया गया था। 1934 में टोक्यो में रेड क्रॉस के 15वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत इसकी रिपोर्ट को मंजूरी दी गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ही, 1946 में, टोक्यो प्रस्ताव का अध्ययन लीग ऑफ़ रेड क्रॉस सोसाइटीज़ द्वारा किया गया, जिसका नाम बदलकर 1991 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज़ कर दिया गया। दो साल बाद, दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में युद्धविराम के सिद्धांतों और इसकी प्रयोज्यता पर विचार करने के बाद, एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस दिवस का प्रस्ताव अपनाया गया और पहला रेड क्रॉस दिवस 8 मई 1948 को मनाया गया। दिन का आधिकारिक शीर्षक समय के साथ बदल गया, और 1984 में विश्व रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट दिवस बन गया।