दुमका (शहर परिक्रमा)

दुमका: कुलपति ने किया डॉ. धुनी सोरेन की आत्मकथा पुस्तक का विमोचन

दुमका: सोमवार को एसके एमविश्वविद्यालय दुमका के कुलपति प्रो डॉ. विमल प्रसाद सिंह ने डॉ. धुनी सोरेन की आत्मकथा “एन अनलाइकली टेल ऑफ ए संताल विलेजर इन इंग्लैंड” पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक वालनट पब्लिकेशन के द्वारा प्रकाशित किया गया है जिसमें डॉ. सोरेन ने अपने जीवन के तमाम अनुभवों को साझा किया है।
इस पुस्तक में कुल 25 अध्याय हैं जिसमें उन्होंने बताया है कि वह कैसे झारखंड का एक छोटे से गावं से निकल कर इंग्लेंड तक पहुँचें।
पुस्तक विमोचन पर कुलपति प्रो डॉ. विमल प्रसाद सिंह ने कहा कि डॉ. धुनी सोरेन जी का जीवन संघर्ष को यह पुस्तक अपने आप में बहुत अच्छे से सारगर्भित करती है। सभी को डॉ. सोरेन का आत्मकथा “एन अनलाइकली टेल ऑफ ए संताल विलेजर इन इंग्लैंड” एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए। हमारे विश्वविद्यालय के बच्चे भी डॉ सोरेन के जीवन संघर्ष को बेहतर तरीके से जान सके और उनसे प्रेरणा ले सकें, इसके लिए विश्वविद्यालय में डॉ. धुनी सोरेन जी का एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया जायेगा।

कौन हैं डॉ. धुनी सोरेन?

डॉ. धुनी सोरेन का जन्म 1935 में गोड्‌डा जिले का एक जनजाति बाहुल्य प्रखंड बोआरीजोर में हुआ. उन्होंने जीवन का आरंभिक शिक्षा गांव से प्राप्त करने के बाद दुमका जिला स्कूल से दसवीं पास किया तत्पश्चात वे पटना साइंस कॉलेज पहुँचें, वहाँ से शिक्षा प्राप्त करने के बाद कुछ समय जामताड़ा में असिस्टेंट सिविल सर्जन के पद पर काम किए और फिर पहली बार उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए 1965 इंग्लैंड पहुचें। अपनी उच्च शिक्षा पूर्ण करने के बाद वहीं पर डॉक्टरी करने लगे। अब सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्य कर रहे हैं। डॉ. धुनी सोरेन भले ही इंगलैंड में रहते हैं परन्तु अपने गांव, देश का मोह अभी भी उनके रग-रग में बसा हुआ है। साल में एक-दो बार भारत आकर अपनी सभ्यता व संस्कृति से भी जुड़े रहते हैं।
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संजय कुमार सिन्हा, डॉ. धुनी सोरेन, राकेश, शिल्पी, इमानी, सनातन मुर्मू एवं मीडिया कर्मी उपस्थित थे।

रिपोर्ट- आलोक रंजन Alok Ranjan