दुमका (शहर परिक्रमा)

दुमका: भादो मेला के पहली सोमवारी को बाबा बासुकिनाथ मंदिर में जलार्पण को लेकर उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

बासुकिनाथ: भादो महीना के पहले सोमवारी को बाबा बासुकिनाथ मंदिर में जलार्पण को लेकर श्रद्धालुओं की भारी उमड़ रही है। भादो महीना में भी सावन के जैसा ही नजारा बासुकिनाथ में नजर आ रहा है। कांवरियों की भीड़ सावन के जैसा ही उमड़ रहा है। वही केसरिया वस्त्रों में लिपटे हजारों कांवरिया बोलबम बोलबम के महामंत्र का जाप करते कतार में लगकर बाबा मंदिर के गर्भगृह में जाकर अपने साथ लाये गंगाजल से बाबा बासुकी का जलाभिषेक कर स्पर्श पूजा कर रहे हैं। भादो महीना में अधिकतर बिहारी बम ही कांवर लेके फौजदारी दरबार पहुंचते हैं। बाजार में कांवरियों की भीड़ से बाजार,चुड़ी गली, नाग नाथ चौक,पानी टंकी भागलपुर रोड गुलजार हो रहा है। श्रावण में आगंतुक कांवरियों को दी जाने वाली प्रशासनिक सुविधाओं में भादो में कटौती किया गया है, जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है। नकली खोवा का पेड़ा और डंडी मार दुकानदारों से आगंतुक श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। श्रावणी मेला की तरह ही भादो मेला में बासुकिनाथ मंदिर के स्थानीय पंडा पुरोहितों को प्रशासनिक हस्तक्षेप से अपने यजमानों से हाथ धोना पड़ रहा है। सभी स्थानीय पंडा पुरोहितों का मंदिर परिसर में अपना बैठकी (गद्दी) है। जहां उनके यजमान पहुंचते थे और पंडा पुरोहित यजमान से दिए गए दान दक्षिणा से अपने परिजनों का भरण पोषण करते थे । मंदिर प्रशासन द्वारा किए गए व्यवस्था से पुरोहित और यजमान से मुलाकात ही नहीं होता है और स्थानीय पंडा पुरोहितों का यजमान बाहर से आए नकली पंडे द्वारा लुटे जा रहे हैं । मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के प्रवेश का दो ही विकल्प है। एक कतार में चल कर और दुसरा शीघ्रदर्शनम का कूपन लेकर ही मंदिर परिसर में आगंतुक श्रद्धालु प्रवेश कर सकते हैं। इससे पंडा पुरोहित और यजमानों का एक दुसरे से मिलना असंभव हो जाता है।
पहली सोमवारी को संध्या छह बजे तक आगंतुक श्रद्धालुओं ने जलार्पण किया और अपने परिजनों के सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। संध्या छह बजे के बाद विश्राम पूजा संपन्न कर बाबा मंदिर का पट बंद कर दिया गया, जिसे पुनः सात बजे खोल दिया गया और पुनः आगंतुक श्रद्धालुओं ने पूजा प्रारंभ किया जो रात नौ बजे तक जारी रहा। उसके बाद श्रृंगार पूजा करने वाले श्रद्धालुओं ने प्रवेश कर श्रृंगार पूजा के कार्यक्रम में भाग लेकर बाबा के दरबार में हाजिरी लगाई। श्रृंगार पूजा संपन्न होने के बाद सभी मंदिरों का पट मंदिर प्रशासन द्वारा बंद किया गया।

रिपोर्ट- शोभाराम पंडा Shobharam Panda