देवघर (शहर परिक्रमा)

एमएसएमई विकास अधिनियम में बदलाव के लिए एमएसएमई और स्टेकहोल्डर की वर्चुअल बैठक में संप चैंबर ने भाग लिया

दिनांक 06.10.23 को एमएसएमई के अपर सचिव सह विकास आयुक्त डॉ रजनीश कुमार की अध्यक्षता में व्यवसायिक स्टेकहोल्डर के साथ एमएसएमई विकास अधिनियम में बदलाव के लिए एक वर्चुअल बैठक दिन में 12 बजे आहुत हुई। इस बैठक में देशभर से कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय व्यावसायिक स्टेकहोल्डर्स और चैंबर के पदाधिकारी ने भाग लिया। विकास आयुक्त डॉ रजनीश कुमार ने कहा कि आपसे प्राप्त सुझावों को संकलित कर नीति आयोग को भेजा जाएगा। नीति आयोग की समीक्षा के बाद अंतिम रूप से एमएसएमई विकास के लिए नया एमएसएमई अधिनियम लाया जाएगा जो 2006 के अधिनियम का स्थान लेगी। आज की बैठक में कुछ लोगों ने अपना विचार रखा। अधिकतर लोगों के विचार बैठक में नहीं लिए जा सके। विकास आयुक्त ने उन्हें कल 2 बजे तक मेल के माध्यम से सुझाव भेजने को कहा। संताल परगना चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज देवघर के अध्यक्ष आलोक मल्लिक ने बताया कि वे इस बैठक में भाग ले रहे थे, लेकिन समयाभाव के कारण मेल के माध्यम से चैंबर की ओर से सुझाव भेजा है। इसके पूर्व भी 28 फरवरी 2022 को ड्राफ्ट पॉलिसी पर चेंबर की ओर से सुझाव भेजा गया था। आज की बैठक के बाद चेंबर की ओर से निम्न सुझाव भेजे गए हैं।

  1. प्रत्येक जिले में कम से कम एक 50 से 100 एकड़ क्षेत्र में माइक्रो इंडस्ट्रियल पार्क बनाया जाए जिसमें 2000, 5000 और 10000 वर्ग फीट के औद्योगिक शेड बनाकर लघु उद्यमियों को आवंटित किया जाए।
  2. प्रत्येक जिले में एक एमएसएमई फैसिलिटेशन सेंटर का गठन हो जिसमें उद्यमियों को प्रोजेक्ट प्रपोजल बनाने से लेकर उद्योग की स्थापना तक सुविधा देने की व्यवस्था हो।
  3. एमएसएमई के लिए नेशनल एसओपी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग पॉलिसी का निर्माण हो और एक केंद्रीकृत अप्रूवल सेल बनाया जाय।
  4. एमएसएमई और सीजीटीएमएसई के बीच एक एमओयू हो जिसके अंतर्गत सेंट्रल अप्रूवल सेल से अप्रूव्ड प्रोजेक्ट को बैंकों से कोलेस्ट्रॉल रहित ऋण सुगमता से दिलाया जा सके।
  5. एमएसएमई उद्योगों को प्रोत्साहित और संबलता देने के लिए ब्याज दर, जीएसटी रिबेट, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी और दर में छूट तथा अन्य करों में रियायत का प्रावधान हो।
  6. एमएसएमई प्रोक्योरमेंट पॉलिसी में
    *उद्योमियों को कार्यादेश के विरुद्ध 60% अग्रिम भुगतान का प्रावधान निश्चित हो।
  • देर से पेमेंट की स्थिति में उद्यमियों को पेनल्टी और ब्याज के साथ भुगतान का प्रावधान हो।
  • सरकारी, गैर सरकारी और पीएसयू से मिलने वाले ऑर्डर में पहले जिला फिर राज्य और उसके बाद क्षेत्रीय स्तर पर प्राथमिकता तय हो।
  1. एमएसएमई के मामले में पिछड़े और अविकसित क्षेत्र को थ्रस्ट एरिया घोषित कर वहां विशेष रियायतों के साथ विकास करने की व्यवस्था हो।
  2. प्रत्येक जिले में वहां के प्रचलित उद्योगों का क्लस्टर डेवलपमेंट और निर्माण हो।
  3. फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी के प्रमोशन के लिए पॉलिसी में विशेष प्रावधान हो ताकि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में कृषक कृषि और कृषि प्रसंकरण उद्योगों के विकास में समुचित प्रावधान हो।