दुमका: 140 किमी दूरी तय कर साहेबगंज से दुमका पहुंच गयी थी किशोरी
मानसिक रोग से ग्रसित होने के कारण नहीं बता पा रही थी अपना नाम व पता
सीडब्ल्यूसी ने आधार पोर्टल की मदद से किशोरी के परिवार को ढुंढ, उसे सौंपा
दुमका: चार माह पूर्व दुमका के दिग्घी थाना क्षेत्र में मिली किशोरी साहेबगंज जिले के जिरवाबाड़ी थाना क्षेत्र की रहनेवाली है। वह पहाड़ों के रास्ते 140 किमी दूरी तय कर दुमका पहुंच गयी थी। वह बातों को सुनती और समझती है पर ज्यादा कुछ बोलती नहीं है जिस कारण उसकी पहचान नहीं हो पा रही थी।
सीडब्ल्यूसी चैयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि उसके अभिभावकों का पता लगाने के लिए ट्रांसलेटर की मदद भी ली गयी। समिति ने उसका फोटो भी जारी किया पर बावजूद इसके उसके घर और परिवार के बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं हुई। समिति ने उसे धधकिया स्थित बालगृह में आवासित कर रखा था। अंततः बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने आधार पोर्टल की मदद से किशोरी के घर का पता लगा। तत्पश्चात समिति ने साहेबगंज डिसिपीओ और सीडब्ल्यूसी के मदद से उनके परिजनों का पता लगाया गया। सूचना मिलने पर शुक्रवार को किशोरी की मां और गांव के लोग दुमका पहुंचे। बालिका अपनी मां को देखते ही किशोरी रोने लगी।
सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने इस मामले की सुनवायी की। जब किशोरी समिति को मिली थी तो उसकी उम्र 12 वर्ष बतायी गयी थी पर आधार कार्ड एवं उसके माता से पता चला कि किशोरी की उम्र 22 वर्ष है। कुपोषण एवं मानसिक बीमारी के कारण वह अपने वास्तविक उम्र से काफी कम की दिखती है। उसकी मां ने समिति को बताया कि उसके तीन बेटी और एक बेटे में यह सबसे बड़ी है। वह शुरू में ठीक थी पर बाद में जब मानसिक रूप से बीमार हो गयी तो उसने बोलना बंद कर दिया। 5 माह पूर्व जब वह काम के लिए बाहर गयी थी तो बेटी घर से निकल कर कहीं चली गयी। काफी खोजबीन करने पर भी नहीं मिली। खेती-बाड़ी का समय होने के कारण उन लोगों ने थाना को भी इस बारे में सूचना नहीं दी। उसने बेटी के मिलने की आश छोड़ दी थी कि 17 जनवरी को मुखिया ने उन्हें बेटी का फोटा दिखाया और बताया कि वह दुमका में है जिसपर वह गांव के लोगों के साथ बेटी को लेने आयी है। समिति ने किशोरी का मानसिक इलाज करवाने का निर्देश परिवार को दिया है।
रिपोर्ट- आलोक रंजन Alok Ranjan