दुमका (शहर परिक्रमा)

दुमका: माघी पूर्णिमा के दिन बाबा बासुकीनाथ के फौजदारी दरबार में लगभग 70 हजार श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

बासुकीनाथ: बाबा बासुकीनाथ के फौजदारी दरबार में माघी पूर्णिमा शनिवार के दिन प्रातः चार बजे से संध्या आठ बजे तक लगभग 70 हजार आगंतुक श्रद्धालुओं ने बेहतर व्यवस्था के बीच जलार्पण किया। हालांकि शुक्रवार संध्या से ही पूर्णिमा के दिन पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ प्रारंभ हो गई थी। प्रत्येक महीने की पुर्णिमा तिथि को बासुकीनाथ आने वाले स्थानीय श्रद्धालुओं की भीड़ शुक्रवार संध्या से ही जुटना प्रारंभ हो चुका था। जो रात्रि विश्राम के बाद शनिवार माघी पूर्णिमा के दिन चार बजे प्रातः से ही बासुकीनाथ के पवित्र शिवगंगा सरोवर में आस्था की डुबकी लगाते हुए शिवगंगा से मंदिर के दरवाजे तक दंड देकर पुनः स्नान कर बाबा मंदिर के गर्भगृह में पूजा करने के लिए कतार में लगे हुए थे और सुरक्षा व्यवस्था के बीच जलार्पण कर रहे थे। देवघर, दुमका, जामतारा, गोड्डा एवम बिहार के भागलपुर, बांका, जमुई, लखीसराय, मधुबनी, सहरसा, दरभंगा जिले से गंगाजल लेकर आये श्रद्धालुओं से माघी पूर्णिमा के दिन बासुकीनाथ शिवनगरी दिनभर गुलजार रहा। स्थानीय प्रशासन एवम बासुकीनाथ मंदिर के न्यास समिति द्वारा यात्रियों की सुविधा के लिए व्यापक व्यवस्था किया गया था। आगंतुक श्रद्धालुओं को कतार में लगाकर बाबा मंदिर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जलार्पण हेतु बाबा मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कराया गया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर प्रशासन द्वारा पेडागली के सामने वाले गेट को बंद किया गया था। मंदिर के चप्पे चप्पे में दर्जनों पुलिस कर्मियों को आगंतुक श्रद्धालुओं को सुलभ तरीके से जलार्पण कराने को लेकर लगाया गया था। बासुकीनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने हेतु मंदिर प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं को कतार में और शीघ्रदर्शनम के कूपन की व्यवस्था किया गया था। जो श्रद्धालु कतार में लग कर नहीं जाना चाहते थे वे शीघ्रदर्शनम का 300 (तीन सौ रुपए ) का कूपन लेकर वी आई पी व्यवस्था के तहत पूजा अर्चना कर रहे थे। पुलिस की व्यवस्था इतनी अच्छी थी कि कोई भी सिंह द्वार से मंदिर प्रांगण में प्रवेश नहीं कर पाए। सिंह द्वार को श्रद्धालुओं के बाहर निकलने के लिए सुरक्षित था। चप्पे चप्पे पर पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। समाचार प्रेषण तक श्रद्धालुओं का आना जारी था।

रिपोर्ट- शोभाराम पंडा