दुमका (शहर परिक्रमा)

प्रसिद्ध शिवनगरी बासुकीनाथ मंदिर में होती है आगंतुक श्रद्धालुओं सहित स्थानीय नगर निवासियों की अग्निपरीक्षा

बासुकीनाथ: झारखंड के विश्व प्रसिद्ध शिवमंदिर और लाखों श्रद्धालुओं के आस्था और भक्ति का केंद्र बासुकीनाथ मंदिर में भीषण गर्मी और आसमान से बरसते सूर्य ताप के दहकते तपिश से आगंतुक श्रद्धालुओं एवम बासुकीनाथ मंदिर से जुड़े पंडा पुरोहितों तथा पूजन सामग्री विक्रेताओं को बासुकीनाथ मंदिर के प्रबंधन के अनदेखी के कारण प्रतिदिन अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। बासुकीनाथ मंदिर के प्रांगण में बिछे टाइल्स आसमानी अंगारों की तपिश से अग्निकुंड के भांति गरम हो जाते है और उसी तपते आंगन में अग्निपरीक्षा देकर जलते पांव से आगंतुक श्रद्धालुओं एवम स्थानीय नगर निवासियों को बाबा बासुकीनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए गुजरना पड़ रहा है। श्रद्धालुओं को जलते तपते पांव को राहत देने के लिए मंदिर प्रबंधन द्वारा फटा पुराना पाडन बिछाया गया है जो बासुकीनाथ मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त नहीं है। मंदिर परिसर का पुरा आंगन लगभग नौ बजे सुबह के बाद अग्निकुंड की भांति सूर्य के तपिश से गरम हो जाता है, जिसमें आगंतुक श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को मंदिर परिसर में विचरण करना एक अग्निपरीक्षा की भांति लगता है। बाबा और पार्वती मंदिर के बाद मंदिर परिसर में चारों तरफ दर्जनों देवी देवता स्थापित है। जिसकी पूजा अर्चना करने के लिए दहकते टाइल्स पर गुजरना पड़ रहा है। बासुकीनाथ मंदिर में प्रांगण में प्रतिदिन श्रद्धालुओं एवम स्थानीय पंडा पुरोहितों को तपते दहकते टाइल्स से अपने पैरों को बचाने के लिए दौड़ते देखा जा सकता है। मंदिर प्रबंधन के उदासीन रवैया के कारण आगंतुक श्रद्धालुओं एवं पंडा पुरोहितों एवम मंदिर से जुड़े अन्य लोगों को प्रतिदिन अग्निपरीक्षा देना पद रहा है, जिसका खामियाजा शिवभक्तों को भुगतना पड़ रहा है।

रिपोर्ट- शोभाराम पंडा